📰 सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट | बहराइच के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, सवा चार लाख छात्रों पर 1646 सहायक अध्यापक कम
📍277 प्रधान शिक्षक भी नहीं, सहायक अध्यापक ही चला रहे स्कूल
📌 बहराइच की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत
बहराइच जिले के प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था इस समय गंभीर संकट से जूझ रही है। शिक्षा विभाग की ओर से जारी आधिकारिक सूची के अनुसार, जिले में छात्रों की संख्या भले ही लगभग 4.5 लाख है, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भारी कमी है।
❗ मुख्य आंकड़े:
- 1646 सहायक अध्यापक की कमी
- 277 प्रधान शिक्षक के पद खाली
- आरटीई 2009 के मानकों के अनुसार शायद ही कोई स्कूल पूरी शिक्षक व्यवस्था के साथ संचालित हो
🏫 कैसे हो रहा है शिक्षण कार्य?
- जिन विद्यालयों में प्रधान शिक्षक नहीं हैं, वहां सहायक अध्यापक ही प्रधानाध्यापक की भूमिका निभा रहे हैं।
- नतीजा – प्रशासनिक कार्यों का बोझ, पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
- कई स्कूलों में ऐसा भी है जहां बच्चे कम और शिक्षक ज्यादा हैं – यानी शिक्षक सही जगह तैनात नहीं हैं।
📚 शिक्षक-छात्र अनुपात का क्या है मानक?

🗣️ बीएसए का बयान:
बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) आशीष सिंह ने स्वीकार किया कि स्थिति गंभीर है –
“मुख्यालय स्तर से जो सूची आई है, उसके अनुसार ही स्थिति का आकलन किया गया है। अब मुख्यालय से कोई आदेश आएगा, तभी इन विसंगतियों को दूर किया जा सकेगा।”
🚨 निष्कर्ष:
📉 शिक्षक कम – छात्रों पर असर ज्यादा
बहराइच के प्राथमिक स्कूलों की स्थिति दिखाती है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो बच्चों की शिक्षा और भविष्य दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
👉 क्या यह नई सरकार की “सर्व शिक्षा” के वादों से मेल खाता है?
👉 क्या शिक्षकों की सही तैनाती से यह संकट टल सकता है?
📢 सरकारी कलम का सवाल — कब सुधरेगी प्राथमिक स्कूलों की हालत? क्या केवल योजनाएं काफ़ी हैं या ज़मीनी बदलाव भी जरूरी है?