🖊️ सर्कारी कलम विशेष लेख | शिक्षक सम्मान अभियान
📅 जून में स्कूल बंद, फिर भी शिक्षक डटे – कर्तव्य की मिसाल या तंत्र की जड़ता?
🌞 भीषण गर्मी में जब 30 जून तक स्कूल छात्रों के लिए बंद हैं, उस समय भी शिक्षक सुबह 7:45 से दोपहर 12:30 तक स्कूल में उपस्थिति दे रहे हैं। सवाल यह है कि जब छात्र मौजूद नहीं, कक्षाएं नहीं चल रहीं, और कार्य ऑनलाइन निपटाए जा सकते हैं, तो शिक्षकों को स्कूल बुलाना क्या वाकई जरूरी है?
🎓 शिक्षक = सिर्फ कर्मचारी नहीं, राष्ट्र निर्माता हैं
🧑🏫 आज का शिक्षक केवल हाजिरी देने के लिए नहीं है।
वो बच्चों के जीवन में उम्मीद का उजाला है।
📚 शिक्षक वही हैं जो भीषण गर्मी, संसाधनों की कमी और सरकारी अनदेखी के बावजूद निष्कलंक चरित्र से अपने दायित्व को निभाते हैं।
🧊 “छुट्टियां बच्चों की, सज़ा शिक्षकों की?”
✋ बच्चों की पढ़ाई का प्रश्न उठाना तब उचित होता जब बच्चे स्कूल में मौजूद हों।
📵 लेकिन 30 जून तक बच्चों की छुट्टी है, यानी पढ़ाई बंद है, तो शिक्षक की उपस्थिति का तर्क सिर्फ जड़ व्यवस्था की औपचारिकता प्रतीत होती है।
🔍 जब काम ऑनलाइन हो सकता है – डाटा एंट्री, शाला दर्पण अपडेट, प्लानिंग, मीटिंग्स – तो गर्मी में आकर सिर्फ “बैठे रहना” क्या शिक्षकों की गरिमा के खिलाफ नहीं?
❗ उतरावां प्रकरण: अपवाद को न बनाएं नीयम
📰 हाल ही में मोहनलालगंज ब्लॉक के उतरावां विद्यालय में निरीक्षण में कई शिक्षक अनुपस्थित मिले।
यह खबर गंभीर है, लेकिन क्या पूरे शिक्षक समाज को इस एक अपवाद से तौला जाना चाहिए?
✊🏼 शिक्षक समाज में ऐसे भी हजारों उदाहरण हैं जो बिना मान-सम्मान के, सिर्फ बच्चों के भविष्य के लिए जी-जान से काम कर रहे हैं।
🧠 ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध = डर नहीं, अधिकारों की सुरक्षा
कुछ लोग इसे इसलिए मुद्दा बना रहे हैं कि शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति से डरते हैं, जबकि सच्चाई इससे अलग है –
👨🏫 शिक्षक यह चाहते हैं कि
- तकनीकी व्यवस्था पारदर्शी हो
- नेटवर्क/डिवाइस की समस्या का समाधान हो
- मानवीय त्रुटियों को सजा का कारण न बनाया जाए
📡 शिक्षक तकनीक के विरोधी नहीं, गैर-जरूरी निगरानी के शिकार नहीं होना चाहते।
💬 शिक्षक भी इंसान हैं
जब पूरे देश में वर्क फ्रॉम होम की सुविधाएं दी जा रही हैं, डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा मिल रहा है,
तो क्या शिक्षकों को डिजिटल रूप से योगदान करने का अवसर नहीं मिलना चाहिए?
🌟 सच्चाई ये है…
🔹 एक शिक्षक सिर्फ समय पर स्कूल आने वाला व्यक्ति नहीं, बल्कि वो हर छात्र के सपनों का मार्गदर्शक है।
🔹 आज अगर शिक्षक कह रहे हैं कि इस भीषण गर्मी में उन्हें व्यर्थ बैठाया जा रहा है, तो उनका विरोध आलस्य नहीं, विवेक का प्रदर्शन है।
📣 सर्कारी कलम का संदेश समाज को 👇
“हर शिक्षक दोषी नहीं, हर प्रणाली आदर्श नहीं… लेकिन अगर हम सकारात्मकता से सुधार की बात करें, तो शिक्षा और शिक्षक – दोनों मजबूत होंगे।” 🙏
📢 शिक्षक साथियों से अपील – आप अपने काम में निरंतर लगे रहें, क्योंकि आपकी मेहनत केवल स्कूल तक सीमित नहीं, वो भारत के भविष्य को आकार देती है।
📢 समाज से अपील – शिक्षक को जज न करें, समझें।
#TeacherRespect | #SarkariKalam | #शिक्षक_सम्मान | | #गर्मी_में_संवेदनशील_प्रणाली_की_मांग
✍️ अगर आप भी शिक्षक हैं और आपके पास कोई अनुभव या सुझाव है, तो हमें लिखें – सर्कारी कलम आपकी आवाज़ बनेगा!