✈️ 27 साल बाद फिर दोहराया चमत्कार: ‘सीट 11A’ से एक और ज़िंदगी मौत से बच निकली!
📝 Sarkari Kalam | रिपोर्ट: ब्यूरो डेस्क
अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है, लेकिन इस त्रासदी के बीच एक चमत्कारी संयोग सुर्खियों में है। हादसे में जहां अधिकांश यात्री अपनी जान गंवा बैठे, वहीं विश्वास कुमार रमेश नामक युवक विमान की सीट नंबर 11A से जिंदा बाहर निकलने वाले एकमात्र यात्री रहे। 😱
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इस सीट से जुड़ा एक अविश्वसनीय इतिहास भी सामने आया है।
🔁 27 साल पहले भी सीट 11A ने दी थी ‘नई जिंदगी’
11 दिसंबर 1998 को थाई एयरवेज की फ्लाइट TG 261 भी एक बड़े हादसे का शिकार हुई थी। उस दुर्घटना में 146 यात्रियों में से 101 की मौत हो गई थी, लेकिन उस विमान में मौजूद प्रसिद्ध थाई गायक और अभिनेता जेम्स रुआंगसाक लोयचुसाक, जो सीट 11A पर बैठे थे, जिंदा बच गए थे। 🎤🎬
उन्होंने हादसे के बारे में फेसबुक पर लिखा:
“यह सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि 27 साल बाद फिर उसी सीट से कोई ज़िंदा बचा। मुझे आज भी उस हादसे की यादें डरावने सपनों की तरह सताती हैं।” 😔
लोयचुसाक ने बताया कि इस हादसे के बाद उन्होंने 10 साल तक हवाई यात्रा से परहेज किया था।
🏥 विश्वास कुमार की हालत स्थिर
बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. रजनीश पटेल ने जानकारी दी कि
“विश्वास कुमार रमेश की हालत अब स्थिर है और वह खतरे से बाहर हैं।” 🙏
उनकी साहसिक जीवटता ने न सिर्फ डॉक्टरों को चौंकाया, बल्कि पूरे देश में उम्मीद की एक किरण जगा दी।
👶 निकास परमिट विवाद: गृह मंत्रालय ने दी सफाई
इस हादसे से जुड़ी एक और संवेदनशील कहानी सामने आई जब एक ब्रिटिश पासपोर्ट धारक बच्चे को लेकर निकास परमिट प्रक्रिया पर सवाल उठे।
परिजनों के मुताबिक, नागपुर निवासी मनीष कामदार की बेटी, अपने बच्चे और सास के साथ लंदन जा रही थी। लेकिन एयरपोर्ट पर एक आव्रजन अधिकारी ने उन्हें रोका और 1000 पाउंड (लगभग 1 लाख रुपये) की मांग की।
मनीष ने अफसोस जताया:
“अगर वह अधिकारी ज़बरन उन्हें विमान में न बैठाता, तो शायद मेरी बेटी और मां आज जीवित होतीं।” 😢
🛂 गृह मंत्रालय ने मामले की जांच के बाद स्पष्ट किया कि
🔸 बच्चे का पासपोर्ट ब्रिटिश था,
🔸 लेकिन भारत में एक साल से अधिक समय तक रहने के कारण,
🔸 उसे निकास परमिट और पेनल्टी शुल्क देना जरूरी था।
✅ मंत्रालय ने दावा किया कि कोई अनियमितता नहीं हुई है।
📌 निष्कर्ष:
जहां एक ओर यह हादसा दुखद और हृदयविदारक रहा, वहीं सीट 11A की यह चमत्कारी कहानी मानो नियति का कोई अद्भुत संकेत है। यह संयोग उन सभी के लिए एक संवेदनशील और आशाजनक प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीद नहीं छोड़ते।
🕯 मृतकों को श्रद्धांजलि और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना।
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