🛒 अब ऑनलाइन खरीदारी भी महंगाई सूचकांक में होगी शामिल


🛒 अब ऑनलाइन खरीदारी भी महंगाई सूचकांक में होगी शामिल

खुदरा महंगाई की गणना में बड़ा बदलाव, 2024 होगा नया आधार वर्ष

नई दिल्ली।
भारत सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) यानी खुदरा महंगाई की गणना के तरीके में व्यापक बदलाव करने जा रही है। इस बदलाव के तहत अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से होने वाली ऑनलाइन खरीदारी को भी महंगाई गणना में शामिल किया जाएगा।

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इससे महंगाई दर का आंकलन अधिक सटीक, वास्तविक और आधुनिक उपभोक्ता व्यवहार पर आधारित हो सकेगा।


🔍 क्या-क्या बदलेगा?

📅 नया आधार वर्ष: 2024

  • अभी तक CPI की गणना 2011-12 को आधार वर्ष मानकर की जाती है।
  • नया आधार वर्ष 2024 होगा और इसके आंकड़े वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में जारी हो सकते हैं।

🛍️ ऑनलाइन खर्च भी होगा शामिल

  • ऑनलाइन शॉपिंग, टैक्सी बुकिंग, ओटीटी सब्सक्रिप्शन, रेल/हवाई टिकट जैसे खर्च CPI में गिने जाएंगे।
  • यह बदलाव पहली बार शहरी ऑनलाइन जीवनशैली को CPI में प्रतिबिंबित करेगा।

🏙️ किन शहरों से होंगे आंकड़े?

  • 12 प्रमुख शहरों से ऑनलाइन खरीदारी के आंकड़े जुटाए जाएंगे।
  • ये वे शहर होंगे जिनकी जनसंख्या कम से कम 25 लाख है।
  • आंकड़े अलग-अलग ऑनलाइन मंचों (जैसे Amazon, Flipkart, Zomato, Uber, IRCTC आदि) से एकत्र किए जाएंगे।

📈 सर्वे व स्कैनर डेटा का उपयोग

  • सांख्यिकी मंत्रालय ने बताया कि अब स्कैनर डेटा टेक्नोलॉजी (developed countries में इस्तेमाल होती है) का प्रयोग भी किया जाएगा।
  • एक हालिया उपभोग सर्वे में पाया गया कि:
    • शहरी क्षेत्रों में 10% खर्च ऑनलाइन होता है
    • ग्रामीण क्षेत्रों में 3–4% खर्च ऑनलाइन

🧾 अब तक और आगे का अंतर


✅ क्या होंगे फायदे?

  1. 📊 बेहतर महंगाई अनुमान:
    • CPI में ऑनलाइन कीमतें शामिल करने से महंगाई का आंकलन अधिक सटीक होगा।
  2. 🏛️ नीतिगत निर्णय में मदद:
    • RBI और सरकार को सही मौद्रिक और आर्थिक नीति तय करने में सहायता मिलेगी।
  3. 🧠 उपभोक्ता व्यवहार की समझ:
    • ऑनलाइन शॉपिंग के बदलते ट्रेंड को समझना आसान होगा।
  4. 🔒 निजता की सुरक्षा:
    • कोई भी व्यक्तिगत जानकारी नहीं ली जाएगी — केवल उत्पाद, कीमत और कैटेगरी संबंधी डेटा संग्रह होगा।

🔚 निष्कर्ष

महंगाई सूचकांक में यह ऐतिहासिक बदलाव भारत में डिजिटल उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। साथ ही, इससे आर्थिक नीतियों की सटीकता और जनजीवन की महंगाई का बेहतर प्रतिबिंब मिलेगा।


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