⚖️ इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो अहम आदेश: दवाओं में पारदर्शिता और हत्या मामले में सजा बरकरार
1️⃣ जेनरिक दवाओं की पारदर्शिता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का संज्ञान 💊
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेनरिक दवाओं की उपलब्धता, मूल्य पारदर्शिता और उन पर सरकारी प्रतीक चिह्न न होने के मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार सहित संबंधित एजेंसियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। 🕰️ यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति संदीप जैन की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता संजय सिंह की याचिका पर दिया।
याचिका में कहा गया है कि भारत में जेनरिक दवाएं मूल्य नियंत्रण सूची में होने के बावजूद कई मेडिकल स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर बेची जा रही हैं। 💸 इससे मरीजों को यह समझने में कठिनाई होती है कि कौन सी दवा ब्रांडेड है और कौन सी जेनरिक। याचिका में यह मांग की गई है कि सभी जेनरिक दवाओं पर एक अनिवार्य सरकारी प्रतीक चिह्न लगाया जाए जिससे आम जनता को भ्रमित होने से बचाया जा सके। ✅
यदि कोर्ट इस पर सकारात्मक निर्देश जारी करता है, तो यह देश में सस्ती दवाओं की उपलब्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा। 🇮🇳📉
2️⃣ हत्या मामले में हथियार की बरामदगी न होने पर भी दोष सिद्ध 🔪⚖️
इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने एक दहेज हत्या के मामले में यह स्पष्ट किया है कि हथियार की बरामदगी दोष सिद्ध करने के लिए आवश्यक नहीं है, यदि प्रत्यक्षदर्शी और अन्य ठोस साक्ष्य मौजूद हों। 👁️🗨️ यह फैसला न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार सिन्हा की पीठ ने बलिया जिले के एक 1984 के मामले में सुनाया।
इस प्रकरण में मृतका के पति सर्वनारायण तिवारी, ननद सरस्वती देवी, देवर शुभनारायण तिवारी और ससुर सीताराम तिवारी पर बहू की हत्या का आरोप था। 💔 पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के शरीर पर चीरे के निशान और गला घोंटने की पुष्टि हुई थी। ट्रायल कोर्ट ने सभी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा दी थी। ⛓️ हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया। ❌📜
इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आपराधिक मामलों में साक्ष्य की संपूर्णता और प्रत्यक्षदर्शी गवाही का विशेष महत्व होता है, न कि केवल भौतिक साक्ष्य की उपस्थिति। 🔍🧾
📌 ये दोनों फैसले भारतीय न्याय व्यवस्था में साक्ष्य और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। एक ओर जहां आम जनता को दवाओं की कीमत और गुणवत्ता को लेकर राहत मिल सकती है 💊😌, वहीं दूसरी ओर न्यायिक प्रणाली यह संदेश दे रही है कि अपराधियों को केवल तकनीकी खामियों के आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता। ⚖️🚫