न्यायमूर्ति शेखर यादव की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, राज्यसभा सचिवालय के पत्र के बाद बदली स्थिति

न्यायमूर्ति शेखर यादव की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, राज्यसभा सचिवालय के पत्र के बाद बदली स्थिति

| नई दिल्ली

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) कार्यक्रम में दिए गए कथित विवादास्पद भाषण को लेकर न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की जांच अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय राज्यसभा सचिवालय से प्राप्त एक आधिकारिक पत्र के बाद लिया है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि ऐसे मामलों में कार्यवाही का संवैधानिक अधिकार केवल संसद और राष्ट्रपति के पास है।

राज्यसभा सचिवालय का रुख स्पष्ट: केवल राष्ट्रपति और संसद के अधीन है कार्यवाही

मार्च 2025 में राज्यसभा सचिवालय द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया कि किसी भी न्यायिक आचरण की जांच या कार्रवाई का अधिकार संविधान के अनुच्छेदों के अनुसार राज्यसभा के सभापति और अंततः राष्ट्रपति के पास निहित है।

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सभापति जगदीप धनखड़ ने भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि इस प्रकार की शिकायतों की संवैधानिक प्रक्रिया संसदीय दायरे में आती है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्राप्त जानकारी सुप्रीम कोर्ट के महासचिव के साथ साझा की जाए।

विवादास्पद भाषण पर सियासी घमासान

न्यायमूर्ति शेखर यादव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन में आयोजित विहिप कार्यक्रम में भाषण देते हुए कथित तौर पर कहा था कि “भारत को बहुसंख्यकों की इच्छा से चलना चाहिए” और केवल हिंदू ही भारत को विश्वगुरु बना सकता है

इस भाषण का पूरा वीडियो वायरल हो गया था, जिसके बाद कपिल सिब्बल के नेतृत्व में 55 विपक्षी सांसदों ने ‘न्यायिक नैतिकता के उल्लंघन’ के आधार पर महाभियोग की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट भी मांगी थी।

जस्टिस यशवंत वर्मा पर भी संकट के बादल, इस्तीफे का विकल्प खुला

जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत संसद में प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। जानकारों का कहना है कि वे इस्तीफा देकर संसद की कार्यवाही से बच सकते हैं। यदि वे संसद में अपना पक्ष रखते हुए पद छोड़ने की घोषणा करते हैं, तो उनका मौखिक बयान ही इस्तीफे के रूप में मान्य होगा।

इस्तीफे की स्थिति में उन्हें पेंशन और सेवानिवृत्त न्यायाधीश के लाभ मिल सकते हैं, जबकि संसद द्वारा हटाए जाने पर ये सभी सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी।

नकदी बरामदगी और आगजनी की घटना बनी जांच की वजह

मार्च 2025 में नई दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना हुई थी। आग बुझाने के दौरान बाहरी परिसर से नकदी की बोरियां बरामद हुईं। न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी से अनभिज्ञताशीर्ष अदालत की जांच समिति ने गवाहों से पूछताछ कर अपनी रिपोर्ट पेश की। इसके बाद उनका तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालयतत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र

यह घटनाक्रम देश की न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही और संविधानिक संतुलन की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करता है। अब देखना यह होगा कि संसद और राष्ट्रपति इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।

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