उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती: 1.26 लाख पदों को लेकर अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी, आयोग ने बेसिक शिक्षा विभाग से की कार्रवाई की मांग

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती: 1.26 लाख पदों को लेकर अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी, आयोग ने बेसिक शिक्षा विभाग से की कार्रवाई की मांग

उत्तर प्रदेश में 1.26 लाख प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर डीएलएड प्रशिक्षित अभ्यर्थियों का आंदोलन लगातार सातवें दिन भी जारी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलेगा, धरना जारी रहेगा। उन्होंने 6 जून को महाआंदोलन की घोषणा भी कर दी है।

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🔎 क्या है मामला?

  • उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने स्पष्ट किया है कि उसे बेसिक शिक्षा विभाग से अधियाचन (रिक्विजिशन) नहीं मिला है।
  • अधियाचन के बिना आयोग भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं कर सकता
  • इसलिए आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय ने अब प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

📌 प्रमुख बातें:

  1. आयोग ने पत्र में कहा:
    • भर्ती प्रक्रिया से संबंधित मांगें बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन हैं।
    • अभ्यर्थियों का धरना आयोग के कार्यों में गोपनीयता बाधित कर रहा है।
  2. धरने पर बैठे अभ्यर्थियों की बात:
    • डीएलएड मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रजत सिंह ने बताया कि: “सात वर्षों में 100 से अधिक प्रदर्शन, अभियान, मुंडन तक हो चुके हैं, फिर भी नई भर्ती नहीं आई।”
  3. रिक्तियों की स्थिति:
    • प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB) की रिपोर्ट के अनुसार:
      • 1,81,276 पद प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त हैं।
      • पर भर्ती अधियाचन अब तक नहीं भेजा गया

🧾 पत्राचार और प्रशासनिक पहल:

  • आयोग ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पत्र भेजा है।
  • प्रतिलिपि:
    • प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा (आयोग उच्च शिक्षा विभाग के अधीन है)
    • पुलिस आयुक्त प्रयागराज
    • जिलाधिकारी प्रयागराज
    • कोतवाली प्रभारी निरीक्षक

🚨 6 जून को महाआंदोलन की चेतावनी

धरने पर बैठे प्रतियोगी छात्रों ने ऐलान किया है कि:

6 जून को बड़े स्तर पर महाआंदोलन किया जाएगा और जब तक भर्ती का ऐलान नहीं होता, हम हटेंगे नहीं।”


🔍 अब क्या हो सकता है?

  • बेसिक शिक्षा विभाग अगर जल्द अधियाचन आयोग को भेजता है, तो भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
  • अभ्यर्थियों का मानना है कि राज्य सरकार को अब रिक्त पदों को भरने की घोषणा करनी चाहिए

निष्कर्ष:
आयोग ने अब स्थिति को स्पष्ट कर दिया है — गेंद अब बेसिक शिक्षा विभाग के पाले में है। यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो यह मामला और व्यापक जन आंदोलन में बदल सकता है।

📢 “भर्ती नहीं, तो सरकार नहीं” जैसे नारों के साथ युवा अब निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहे हैं।

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