अखिलेश यादव का आरोप – “भाजपा राज में शिक्षा की दुर्दशा, शिक्षक हो रहे अपमानित”
लखनऊ | समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक बयान जारी कर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मौजूदा शासनकाल में शिक्षा व्यवस्था की सबसे अधिक दुर्दशा हुई है और शिक्षकों को हर स्तर पर अपमानित किया जा रहा है।
🗣️ अखिलेश यादव के मुख्य आरोप:
- शिक्षकों के सम्मान का अभाव:
उन्होंने कहा कि आज शिक्षक समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग बन गए हैं। उन्हें सम्मान नहीं, अपमान मिल रहा है। - बर्बरता का आरोप:
“पुलिस शिक्षकों के साथ बर्बर व्यवहार कर रही है, और यह सब ऊपर से निर्देशित है।” - वेतन पर सवाल:
“शिक्षकों को वेतन के नाम पर न्यूनतम राशि मिल रही है, जो उनकी मेहनत के साथ अन्याय है।”
📍 शिक्षक प्रदर्शन का हवाला:
- प्रयागराज में शिक्षा चयन बोर्ड के सामने बेसिक शिक्षक अभ्यर्थियों का धरना,
- लखनऊ के इको गार्डन में प्रदेशभर से आए शिक्षामित्रों का आंदोलन,
- दोनों ही प्रदर्शन 2 जून को “दो जून की रोटी” के संघर्ष का प्रतीक बने।
अखिलेश ने कहा कि यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार की नीतियां विफल हो चुकी हैं और शिक्षा तथा शिक्षकों के प्रति संवेदनहीन रवैया अपनाया जा रहा है।
🔁 न्यायपूर्ण मांगों का समर्थन:
सपा अध्यक्ष ने शिक्षामित्रों की मांगों को न्यायसंगत बताते हुए कहा कि उनका आंदोलन कोई नया नहीं, बल्कि लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष है। सरकार को चाहिए कि वह संवेदनशीलता दिखाते हुए इन शिक्षकों की पीड़ा समझे और हल निकाले।
🧾 अखिलेश यादव की मांगें:
- शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन और सुविधाएं दी जाएं।
- शिक्षामित्रों की स्थायी नियुक्ति पर ठोस नीति लाई जाए।
- शिक्षक आंदोलनों पर दमनात्मक कार्रवाई बंद की जाए।
📝 निष्कर्ष:
अखिलेश यादव ने एक बार फिर से शिक्षा और शिक्षकों को लेकर भाजपा सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सपा शिक्षकों के सम्मान और हक के लिए उनके साथ खड़ी है।