शाबाश विकास! गरीबी को चीरते हुए पाई जेईई एडवांस्ड में सफलता, SC कैटेगरी में देशभर में 64वीं रैंक

शाबाश विकास! गरीबी को चीरते हुए पाई जेईई एडवांस्ड में सफलता, SC कैटेगरी में देशभर में 64वीं रैंक
(सच्ची मेहनत की कहानी, जिसने हजारों को प्रेरित किया)


📍 प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
शाबाश विकास…” — यह शब्द हर उस इंसान के मुंह से निकलेगा, जो प्रयागराज के एक छोटे से गांव कौंधियारा के रहने वाले विकास की संघर्ष और सफलता की कहानी पढ़ेगा। मजदूरी करने वाले पिता और साधारण गृहणी मां के बेटे ने साबित कर दिया कि संघर्ष अगर सच्चा हो तो सफलता झुककर सलाम करती है।


🚀 बिना कोचिंग, यूट्यूब से की पढ़ाई – और पाई जेईई में देशभर में पहचान

  • पिता: राजकुमार उर्फ रंगलाल – पेशे से राजमिस्त्री
  • मां: पानकली – गृहिणी
  • गांव: बहेरी, कौंधियारा, प्रयागराज
  • स्कूल: मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज, करछना (2022 में इंटर पास)

विकास ने कोई महंगी कोचिंग नहीं ली। उसने यूट्यूब पर मौजूद फ्री वीडियो से खुद तैयारी की। दिन के 12-14 घंटे पढ़ाई की और…

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जेईई मेंस में मिला – 99.96 परसेंटाइल, ऑल इंडिया रैंक – 96
जेईई एडवांस्ड में मिला – ऑल इंडिया रैंक – 978, SC कैटेगरी रैंक – 64


🎯 अब लक्ष्य है – आईएएस बनकर देश सेवा

विकास की नजर अब सिर्फ आईआईटी पर नहीं है। वह IIT मद्रास से B.Tech करना चाहता है और इसके बाद UPSC परीक्षा पास कर एक IAS अफसर बनना चाहता है। उसका कहना है:

मैंने गरीबी को करीब से देखा है। अब देश के लिए काम करना चाहता हूं, ताकि मेरे जैसे बच्चों को कभी पढ़ाई के लिए संघर्ष न करना पड़े।


📢 यूट्यूब को बनाया हथियार, न कि मनोरंजन का जरिया

जहां ज्यादातर युवा यूट्यूब को सिर्फ टाइमपास मानते हैं, वहीं विकास ने यूट्यूब को अपनी लाइफलाइन बना लिया। आज वह उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कहते हैं – “पैसे नहीं हैं, कैसे पढ़ें?”


🌟 विद्वत की भी सफलता की कहानी

वहीं प्रयागराज के ही अल्लापुर निवासी विद्वत श्रीवास्तव ने भी JEE Advanced 2024 में 4440वीं रैंक हासिल की है।

  • पिता: नंद कुमार श्रीवास्तव – स्टेनोग्राफर (जिला न्यायालय)
  • मां: रीति – शिक्षिका
  • विद्वत ने 10वीं के बाद कोटा जाकर तैयारी की और आज उसका सपना IIT में पढ़ना जल्द साकार होने वाला है।

📌 निष्कर्ष:

विकास और विद्वत की सफलता सिर्फ परीक्षा पास करने की कहानी नहीं है — यह इच्छाशक्ति, अनुशासन और विश्वास की कहानी है। यह उन सभी युवाओं को जवाब है जो सोचते हैं कि संसाधन के बिना सफलता संभव नहीं।

कहानी का संदेश – “सपना बड़ा देखो, रास्ता खुद बन जाएगा।” 🌠


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