मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री रैकेट में बड़ा खुलासा: ईडी की जांच शुरू, मनी लॉन्ड्रिंग में केस दर्ज होगा

मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री रैकेट में बड़ा खुलासा: ईडी की जांच शुरू, मनी लॉन्ड्रिंग में केस दर्ज होगा
उत्तर भारत के छह राज्यों में फैला नेटवर्क, 10 हजार फर्जी डिग्रियां, विदेश तक फैला गोरखधंधा


हापुड़, 23 मई:
मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सक्रिय हो गया है। उत्तर भारत के सबसे बड़े फर्जी डिग्री नेटवर्क की जांच अब प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत होगी। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन बिजेंद्र सिंह हुड्डा समेत 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने की तैयारी है।


Table of Contents

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मुख्य बिंदु:

रैकेट का विस्तार:

  • यूपी के साथ बिहार, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और राजस्थान तक फैला रैकेट
  • हरियाणा के पलवल निवासी संदीप सेहरावत था मास्टरमाइंड
  • 10,000 से अधिक फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट, जिनमें बड़ी संख्या में विदेशों में नौकरी/पढ़ाई के लिए उपयोग हुईं

ईडी की जांच:

  • ईडी की इंटेलिजेंस विंग जुटा रही प्रमाण
  • नोएडा से एक दलाल गिरफ्तार, आरोपियों को पैसे लेकर क्लीन चिट दिलाने का खुलासा
  • अब मनी लॉन्ड्रिंग के तार भी खंगाले जा रहे

एसटीएफ की कार्रवाई:

  • 2011 से अब तक जारी सभी डिग्रियों की जांच
  • यूनिवर्सिटी के कई कर्मचारी व प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ होगी
  • बिक्री और स्वामित्व बदलने के सौदों की जांच
    • 2022 में बिजेंद्र सिंह ने यूनिवर्सिटी खरीदी थी
    • इससे पहले दो बार सौदे विफल हुए थे

प्रभावित अभ्यर्थी और सरकारी सेवाएं:

  • फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वालों को नोटिस
  • देशभर में फैले उपयोगकर्ताओं का ब्योरा जुटाया जा रहा है
  • एसटीएफ और ईडी दोनों एजेंसियां संयुक्त रूप से डाटा खंगालेंगी

फॉरेंसिक और तकनीकी साक्ष्य:

  • बरामद मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए
  • ऑनलाइन डेटा और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री की स्कैनिंग जारी

पृष्ठभूमि:

मोनाड यूनिवर्सिटी की स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी। यूनिवर्सिटी पर पहले भी विवाद रहे हैं, और बाइक बोट घोटाले में भी चेयरमैन बिजेंद्र सिंह आरोपी हैं, जिसकी जांच ईडी की लखनऊ यूनिट कर रही है।


निष्कर्ष:

यह मामला सिर्फ एक शैक्षणिक धोखाधड़ी नहीं बल्कि एक संगठित मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार का जाल है, जिसकी जड़ें कई राज्यों में फैली हैं। आने वाले दिनों में हजारों नौकरीपेशा और विदेशों में बसे भारतीयों की डिग्रियों की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं।


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