भारत विरोधी गतिविधियों के आरोप में प्रोफेसर नितारा कौल की OCI नागरिकता रद्द

भारत विरोधी गतिविधियों के आरोप में प्रोफेसर नितारा कौल की OCI नागरिकता रद्द

ब्रिटिश-कश्मीरी प्रोफेसर पर भारत सरकार की नीतियों के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण लेखन का आरोप

ब्रिटेन की प्रोफेसर नितारा कौल की ओसीआई रद्द

लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रोफेसर नितारा कौल ने दावा किया है कि भारत सरकार ने उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) से वंचित कर दिया है।

भारतीय प्रवासी अधिनियम के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों की ओसीआई रद्द की जा सकती है जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और सार्वजनिक संस्थाओं के खिलाफ कार्य करते हैं।

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क्या हैं आरोप?

भारत सरकार के अनुसार, प्रो. कौल ने अपने लेखों, वक्तव्यों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के माध्यम से भारत की नीतियों को शत्रुतापूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर धूमिल हुई। ऐसे मामलों में भारत को वैश्विक स्तर पर निशाना बनाने का आरोप उन पर लगाया गया है।

प्रोफेसर नितारा कौल की प्रतिक्रिया

वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में ‘Center for Study of Democracy’ की सदस्य कौल ने OCI रद्द किए जाने की कड़ी निंदा करते हुए इसे “दुष्ट इरादा, प्रतिशोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बताया।

उन्होंने कहा, “यह एक क्लासिक उदाहरण है कि कैसे असहमति को कुचलने की कोशिश की जाती है।” कौल ने यह भी कहा कि उनके लेख लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लिखे गए थे, न कि किसी देश विशेष को निशाना बनाने के लिए।

भारत सरकार का पक्ष

सरकारी सूत्रों के अनुसार, ओसीआई नियमों के तहत भारत की छवि बिगाड़ने, आतंकवाद या नक्सलवाद को समर्थन देने जैसे कार्यों में शामिल किसी भी व्यक्ति की ओसीआई रद्द की जा सकती है।

प्रो. कौल पर ऐसे लेख और वक्तव्य प्रकाशित करने के आरोप हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा माने गए हैं।

मामला बना चर्चा का विषय

यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मीडिया और अकादमिक जगत में चर्चा का विषय बन गया है। एक ओर इसे सरकार की वैध कार्रवाई बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे बोलने की स्वतंत्रता पर अंकुश के रूप में भी देखा जा रहा है।

निष्कर्ष: प्रोफेसर नितारा कौल का मामला भारत की विदेश नीति, आलोचना की सीमा और प्रवासी नागरिकों के अधिकारों को लेकर नए सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में इस विवाद का क्या रुख होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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