डीएड, डीएलएड के समकक्ष नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षक की नियुक्ति रद्द की
प्रयागराज।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में स्पष्ट किया है कि डिप्लोमा इन एजुकेशन (D.Ed) और डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (D.El.Ed) दो भिन्न पाठ्यक्रम हैं और डीएड, डीएलएड के समकक्ष नहीं माना जा सकता। इसी आधार पर कोर्ट ने सहायक अध्यापक पद पर हुई एक नियुक्ति रद्द कर दी।
मामले का संक्षिप्त विवरण
याचिकाकर्ता संघप्रिया गौतम ने दो वर्षीय डीएड कोर्स किया था और 2015 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण की थी। वह 2016 की सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सम्मिलित हुईं और 2024 में सीतापुर के बीएसए द्वारा उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया गया।
लेकिन स्कूल आवंटन के समय यह कहते हुए रोक लगा दी गई कि डीएड को डीएलएड के समकक्ष नहीं माना जा सकता। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट का तर्क: डीएलएड की विशेषता अलग
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की अधिसूचना के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए D.El.Ed अनिवार्य योग्यता है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया:
“डीएलएड पाठ्यक्रम बाल मनोविज्ञान, बाल विकास और प्रारंभिक शिक्षा के मूल तत्वों पर केंद्रित है, जबकि डीएड अपेक्षाकृत सामान्य शिक्षण विषयों पर आधारित है।”
इस आधार पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति गैर-योग्यतानुसार घोषित करते हुए उसे अस्वीकार कर दिया।
क्या कहता है एनसीटीई का नियम
एनसीटीई की गाइडलाइंस के अनुसार:
- प्राथमिक स्तर (Class 1–5) के शिक्षकों के लिए अनिवार्य:
- D.El.Ed
- TET (Teacher Eligibility Test) पास
- डीएड केवल विशेष परिस्थिति में स्वीकार्य है, जब अधिसूचना में स्पष्ट उल्लेख हो।
न्यायिक निष्कर्ष और शिक्षकों के लिए संदेश
इस फैसले ने साफ कर दिया कि योग्यता मानकों से समझौता नहीं किया जाएगा। उम्मीदवारों को नियुक्तियों में भाग लेने से पूर्व पाठ्यक्रमों की मान्यता और समकक्षता की अच्छी तरह पुष्टि करनी चाहिए।
लेखक: Sarkari Kalam संवाददाता
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