आरटीई में प्रवेश की रफ्तार धीमी, अब भी 80 हजार बच्चों का इंतजार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया इस साल भी धीमी गति से आगे बढ़ रही है। चार चरणों में सीट पाने वाले 1.85 लाख बच्चों में से अब तक सिर्फ 1.06 लाख बच्चों का ही दाखिला हो पाया है। लगभग 80 हजार बच्चों के प्रवेश अभी भी लंबित हैं।
आंकड़ों में फंसी RTE की राह
- कुल आवेदन: 3.34 लाख
- स्वीकृत आवेदन: 2.52 लाख
- सीटें आवंटित: 1.85 लाख
- वास्तविक दाखिले: 1.06 लाख
- शेष दाखिले बाकी: लगभग 80,000
कई जिलों में बेहद खराब स्थिति
बेसिक शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ जिलों में स्थिति अत्यंत चिंताजनक है: जिला दाखिले की प्रतिशतता सोनभद्र 37% मुरादाबाद 30% कौशांबी 29% मऊ 52% मैनपुरी 49% लखनऊ 50%
सरकार की प्राथमिकता: हर बच्चे को मिले शिक्षा का अधिकार
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने कहा:
“प्रदेश का हर बच्चा, चाहे वह किसी भी वर्ग से हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का हकदार है। हमारा लक्ष्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे भी शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनें और नए उत्तर प्रदेश के निर्माण में भागीदार बनें।”
कार्रवाई की चेतावनी
समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह के अनुसार:
- सभी जिलों को अप्रैल में ही दाखिले सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए थे।
- जो विद्यालय बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं, उनके लिए डीएम की अध्यक्षता में बैठकें कराकर दाखिला सुनिश्चित कराया जाएगा।
निष्कर्ष
RTE अधिनियम के तहत शिक्षा पाने वाले बच्चों के लिए यह समय बेहद निर्णायक है। सरकार को अब और भी कठोर कदम उठाने होंगे ताकि निजी विद्यालयों में सीट पाने वाले बच्चों को समय से दाखिला मिल सके और अधिनियम का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो सके।
लेखक: Sarkari Kalam ब्यूरो
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