धोखाधड़ी के बाद नहीं मिलेगा न्याय: फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाने वाले शिक्षक की नियुक्ति रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त फैसला – वेतन और लाभों पर भी रोक
कोर्ट का स्पष्ट रुख: फर्जीवाड़ा कर हासिल की गई नौकरी वैध नहीं
प्रयागराज की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि जो व्यक्ति धोखाधड़ी कर नौकरी प्राप्त करता है, वह न्याय का हकदार नहीं हो सकता। कोर्ट ने सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत व्यक्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने का दोषी पाया और उसकी नियुक्ति रद्द कर दी। साथ ही, वेतन और अन्य लाभ देने पर भी रोक लगा दी।
मामला 1: सहायक शिक्षक की नियुक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर
सुनवाई के दौरान सामने आया कि सहायक शिक्षक ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के माध्यम से नियुक्ति प्राप्त की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सत्य को छिपाकर लाभ प्राप्त करना अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसे व्यक्ति को नौकरी पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मामला 2: मृतक की बहन को मनरेगा मजदूर दिखाकर भुगतान
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मोहम्मद रफी की पीठ ने एक मामले में 18 लोगों की मनरेगा मजदूरी के भुगतान के नाम पर गड़बड़ी पाए जाने पर शासन को निर्देश दिया कि 12 मई को सभी संबंधित व्यक्तियों को सुनवाई का अवसर दें और उचित कार्रवाई करें।
मामला 3: ईदगाह की विवादित संपत्ति का विवाद
प्रयागराज के शाही ईदगाह मस्जिद की विवादित संपत्ति को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह संपत्ति मूलतः मंदिर की थी जिसे बाद में बदलकर वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया।
मामला 4: एमएमयू की जमीन पर निर्माण के खिलाफ याचिका
अलीगढ़ पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय की जमीन पर अवैध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सरकार शिक्षा संस्थान और डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की मूल योजना के खिलाफ निर्माण कर रही है।
कोर्ट का संदेश: न्याय तभी जब रास्ता ईमानदार हो
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता और सच्चाई के महत्व को दर्शाता है। फर्जी दस्तावेजों, भ्रष्टाचार या अनुचित साधनों से हासिल की गई नियुक्ति पर कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जाएगी। यह निर्णय अन्य मामलों के लिए भी न्यायिक दृष्टांत बनेगा।