स्थानांतरण नीति 2025-26: दिव्यांग बच्चों को जहां मिले बेहतर इलाज, माता-पिता का वहीं हो तबादला
नई स्थानांतरण नीति में संवेदनशीलता और सुविधा का समावेश
लखनऊ: कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानांतरण नीति 2025-26 को मंजूरी दे दी है, जो विशेष रूप से मानसिक मंदित या शारीरिक रूप से असमर्थ दिव्यांग बच्चों वाले माता-पिता के लिए राहत लेकर आई है। अब ऐसे माता-पिता को वहीं तैनात किया जाएगा, जहां उनके बच्चों को बेहतर चिकित्सा और पुनर्वास सेवाएं मिल सकें।
प्रमुख विशेषताएं और प्रावधान
- पति-पत्नी दोनों यदि सरकारी सेवा में हैं, तो एक को स्थानांतरण से छूट दी जाएगी।
- किसी कर्मचारी या उसके आश्रित को 40% से अधिक दिव्यांगता होने पर स्थानांतरण से छूट मिलेगी।
- गंभीर बीमारी या अनुशंसा के आधार पर भी स्थानांतरण संभव होगा।
- ऐसे कर्मचारी जो दिव्यांग आश्रित की देखभाल करते हैं, उन्हें गृह जनपद में तैनाती दी जाएगी।
- दो साल से एक स्थान पर तैनात समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कर्मचारी, अपने गृह जिले में तबादला पाने के इच्छुक होंगे।
स्थानांतरण प्रक्रिया अब और पारदर्शी
स्थानांतरण सूची जारी होने के बाद कर्मचारियों को ऑनलाइन माध्यम से कार्यमुक्ति एवं कार्यग्रहण की सुविधा दी जाएगी। कर्मचारियों को नई जगह पर एक सप्ताह में जॉइन करना अनिवार्य होगा।
34 ऐसे जिले भी चिन्हित किए गए हैं, जहां किसी भी विभाग में कोई पद खाली नहीं रहेगा। 10% से अधिक स्थानांतरण होने पर विभागीय मंत्री से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है।
व्यवस्था में बदलाव और मानवीय दृष्टिकोण
सरकार ने यह नीति यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार की है कि कोई भी दिव्यांग बच्चा स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रहे और उसके माता-पिता को भी प्रशासनिक लचीलापन मिल सके। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।