22 लाख से अधिक छात्रों का सत्यापन नहीं, DBT कैसे मिले?
बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी बीईओ को तत्काल सत्यापन के दिए निर्देश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली ड्रैस, बैग, जूते-मोजे और स्टेशनरी के लिए ₹1200 की DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना इस बार भी पिछड़ती नजर आ रही है।
22 लाख से अधिक छात्रों का सत्यापन अब तक लंबित
विभागीय जानकारी के अनुसार, पिछले सत्र में प्रमोट हुए 22 लाख से अधिक छात्रों का अभी तक सत्यापन नहीं हुआ है। ऐसे में यह बड़ा सवाल बन गया है कि DBT की प्रक्रिया कैसे पूरी होगी, जब सत्यापन ही अधूरा है?
विभागीय लापरवाही से उजागर हुई बड़ी चूक
‘अमर उजाला’ की 2 मई की रिपोर्ट में विद्यालयों में बिना सत्यापन के भेजे गए ड्रेस के पैसे की खबर प्रकाशित होने के बाद मामला गंभीर हो गया। इससे शासन और विभाग के बड़े अधिकारी भी चिंतित हो गए।
बेसिक शिक्षा विभाग ने दिए तत्काल निर्देश
बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी बीईओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) को निर्देश जारी कर प्रमोटेड बच्चों का तत्काल सत्यापन करने को कहा है। विभाग ने 2024-25 सत्र की तैयारी के अंतर्गत यह निर्देश जारी किए हैं ताकि 1.9 करोड़ से अधिक बच्चों को समय पर DBT का लाभ मिल सके।
सत्यापन में यह बातें रहेंगी अहम
- प्रभारी शिक्षक, बीईओ और बीएसए पर निगरानी
- डाटा एंट्री से लेकर फीडिंग तक सभी स्तरों की पुष्टि
- समयबद्ध सत्यापन से ही DBT समय पर मिलेगा
- जिला स्तर से रिपोर्टिंग कर सत्यापन की स्थिति अपडेट की जाएगी
“बिना सत्यापन के DBT नहीं दिया जा सकता। समय पर सत्यापन सुनिश्चित करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है।”
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश के बच्चों को सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले, इसके लिए प्रशासन को जवाबदेह और सतर्क बनना होगा। समय पर सत्यापन ही DBT की प्रक्रिया की रीढ़ है।