परिषदीय विद्यालयों में छात्रों को अब तक नहीं मिली ड्रेस और स्टेशनरी की राशि, शिक्षकों ने 15 मई तक डीबीटी की उठाई मांग
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र प्रारंभ हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक छात्रों को स्कूल ड्रेस, बैग, जूते-मोजे और स्टेशनरी के लिए मिलने वाली राशि का डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरण नहीं हो पाया है। इससे लाखों बच्चे बिना ड्रेस स्कूल आने को मजबूर हैं, खासकर नव नामांकित छात्र इस स्थिति से अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
प्रति छात्र 1200 रुपये की धनराशि पर अब तक सस्पेंस
सरकार की योजना के अनुसार हर वर्ष छात्रों के अभिभावकों के बैंक खातों में प्रति छात्र 1200 रुपये भेजे जाते हैं, जिससे वे बच्चों के लिए ड्रेस, बैग, स्टेशनरी, जूते-मोजे आदि की खरीद कर सकें। परंतु इस बार बेसिक शिक्षा विभाग की तैयारियों में देरी के कारण अब तक यह राशि जारी नहीं हो सकी है।
बच्चों में उत्साह की कमी, उपस्थिति पर असर
शिक्षकों के अनुसार बिना यूनिफॉर्म के बच्चे स्कूल आने में हिचकिचाते हैं और उनका मन पढ़ाई में भी कम लगता है। नया ड्रेस, बैग और स्टेशनरी न केवल बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं बल्कि इससे उनकी उपस्थिति व आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
शिक्षक संघ ने की 15 मई तक राशि जारी करने की मांग
उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री अनिल यादव ने सरकार से अपील की है कि बच्चों के हित में यह राशि 15 मई तक हर हाल में अभिभावकों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाए, ताकि वे गर्मी की छुट्टियों से पहले ज़रूरी वस्तुओं की व्यवस्था कर सकें।
“यदि समय रहते ड्रेस की राशि जारी नहीं की गई, तो इसका सीधा असर बच्चों की उपस्थिति और नामांकन दर पर पड़ेगा,” – अनिल यादव, प्रदेश अध्यक्ष, बीटीसी शिक्षक संघ
अब ज़रूरत है त्वरित कार्रवाई की
इस विषय पर सरकार और शिक्षा विभाग को गंभीरता से विचार करते हुए तत्काल आवश्यक निर्देश जारी करने चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को उनका शैक्षिक अधिकार और मूलभूत सुविधा समय से प्राप्त हो सके।
निष्कर्ष
ड्रेस और स्टेशनरी जैसी सुविधाएं केवल सामग्री नहीं हैं, बल्कि ये बच्चों में स्कूल के प्रति जुड़ाव और आत्मगौरव का माध्यम होती हैं। अतः समय पर डीबीटी राशि का वितरण विद्यार्थियों की शिक्षा में निरंतरता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
क्