मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: जाति जनगणना को मिली मंजूरी, पिछड़ों के सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। सरकार ने जातिगत जनगणना को आगामी जनगणना प्रक्रिया में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जाति जनगणना: विपक्ष से मुद्दा छीनने की रणनीति
इस कदम को विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे जातिगत जनगणना के मुद्दे की राजनीतिक धार को कुंद करने के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैसले की जानकारी देते हुए विपक्ष पर भ्रम फैलाने और जाति को सियासी हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
संविधान के अनुरूप लिया गया निर्णय
वैष्णव ने स्पष्ट किया कि यह फैसला संविधान की व्यवस्था और अनुच्छेद-246 के तहत लिया गया है, जिसके अनुसार जनगणना केंद्र सरकार का विषय है। उन्होंने बताया कि तेलंगाना सहित कुछ राज्यों ने जातिगत सर्वे कराया था, लेकिन वह प्रक्रियात्मक रूप से पारदर्शी नहीं थे। इससे समाज में संदेह और असमंजस की स्थिति बनी।
2027 में शुरू होगी प्रक्रिया
सूत्रों के अनुसार, जाति गणना की प्रक्रिया 2027 में शुरू होगी, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक होंगे। यह निर्णय तकनीकी चुनौतियों के समाधान के बाद ही अमल में लाया जाएगा। वर्ष 2011 में हुई जनगणना में 46 लाख जातियों का आंकड़ा सामने आया था, जो 1931 की 4,147 जातियों की तुलना में अत्यधिक था।
सामाजिक-आर्थिक योजनाओं में होगी मदद
सरकार का मानना है कि इस फैसले से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की योजनाओं की योजना और क्रियान्वयन में स्पष्टता आएगी। इससे समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और वंचित वर्गों की प्रगति के मार्ग खुलेंगे।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार ने 11 साल तक इसका विरोध किया और अब अचानक यह फैसला लिया है, लेकिन उसे इसकी समयसीमा भी स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सरकार के इस कदम का समर्थन करते हैं।”
अमित शाह का बयान
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह निर्णय पिछड़े वर्गों के सशक्तीकरण का मार्ग खोलेगा और देश की सामाजिक संरचना को मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने कांग्रेस पर दशकों तक सत्ता में रहते हुए जातिगत जनगणना का विरोध करने और अब इसपर राजनीति करने का आरोप लगाया।
निष्कर्ष:
जातिगत जनगणना का यह फैसला भारत के सामाजिक ताने-बाने और योजनागत दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है। यह निर्णय जहां राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा, वहीं वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए सशक्तिकरण का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
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