बदलती लाइफस्टाइल और बढ़ता पीसीओएस खतरा: महिलाओं के लिए अलर्ट ⚠️
पीसीओएस के मामले 10 साल में दोगुने हुए
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) आज देश की लाखों महिलाओं के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
बदलती जीवनशैली, बढ़ता मोटापा, देर रात तक जागने और बाजार के खाने के बढ़ते चलन ने पीसीओएस के मामलों को पिछले 10 वर्षों में दोगुना कर दिया है।
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14 से 40 साल की उम्र की महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित 👩⚕️
विशेषज्ञों का कहना है कि 14 से 40 साल की आयु वर्ग की युवतियां और महिलाएं सबसे ज्यादा पीसीओएस की चपेट में आ रही हैं।
कानपुर में हुए ओब्स एंड गायनी व आईएसओपीएआरबी सोसाइटी के संयुक्त सेमिनार में इस बढ़ती समस्या पर गहरी चिंता जताई गई।
चौंकाने वाली बातें:
- 20 से 25 साल की महिलाओं में 60% पीसीओएस के केस पाए गए।
- अधिकतर महिलाएं पीसीओएस के लक्षणों और बचाव के तरीकों से अनजान हैं।
- बीमारी होने के बाद भी बड़ी संख्या में महिलाएं इसका इलाज नहीं करातीं।
पीसीओएस के प्रमुख लक्षण 🔍
पीसीओएस एक हार्मोनल विकार है, जिसमें महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं जन्म लेती हैं।
मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
- अनियमित या दर्दनाक मासिक धर्म।
- चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल बढ़ना।
- बार-बार गर्भधारण में कठिनाई।
- लगातार सिरदर्द और मुंहासे।
- शरीर में खून की कमी और अत्यधिक कमजोरी।
लाइफस्टाइल में ये बदलाव कर सकते हैं बचाव ✨
डॉक्टर्स के मुताबिक पीसीओएस से बचाव के लिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी दिनचर्या और खानपान में कुछ जरूरी सुधार करें:
- रोजाना व्यायाम करें।
- समय पर सोने और उठने की आदत डालें।
- बाजार के प्रोसेस्ड फूड से बचें।
- वजन को नियंत्रित रखें।
- तनाव से बचें और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
विशेषज्ञों की राय 🩺
डॉ. नीलम मिश्रा (वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ) का कहना है कि
“पीसीओएस का सबसे बड़ा कारण आज की असंतुलित जीवनशैली और खानपान है। अगर सही समय पर जागरूकता और रोकथाम के उपाय नहीं किए गए, तो भविष्य में महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।”
डॉ. सीमा द्विवेदी के अनुसार,
“सबसे बड़ी चुनौती यह है कि 60% महिलाएं पीसीओएस के लक्षणों को पहचानती ही नहीं हैं। जागरूकता फैलाना आज सबसे बड़ी जरूरत है।”
निष्कर्ष: अभी संभलें, तो भविष्य सुरक्षित रहेगा! ✅
पीसीओएस एक ऐसी बीमारी है, जिसे समय रहते रोका और नियंत्रित किया जा सकता है।
जरूरत है स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, समय पर जांच कराने और सही जानकारी रखने की।
महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि स्वस्थ महिला, स्वस्थ समाज की नींव है।