जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर त्वरित कार्यवाही अनिवार्य, आदेश जारी
लखनऊ।
प्रदेश सरकार ने सभी सरकारी विभागों एवं कार्यालयों को निर्देशित किया है कि माननीय सांसदों, विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों पर त्वरित, समयबद्ध और सकारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। इस संबंध में प्रमुख सचिव जे० पी० सिंह द्वारा एक सख्त आदेश जारी किया गया है।
जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर अनिवार्य
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि हर सरकारी कार्यालय में एक “जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर” रखना अनिवार्य है। इसमें सभी प्राप्त पत्रों का विवरण दर्ज किया जाएगा और पत्र प्राप्ति की पावती (acknowledgment) तत्काल जनप्रतिनिधि को भेजी जाएगी। साथ ही, प्रकरण के निस्तारण (disposal) की स्थिति से भी जनप्रतिनिधि को शीघ्र अवगत कराना अनिवार्य होगा।
बार-बार पत्राचार से बचाव
सरकार का उद्देश्य यह है कि जनप्रतिनिधियों को एक ही मामले में बार-बार पत्राचार न करना पड़े। यदि समय से कार्यवाही की जाएगी तो जनप्रतिनिधियों की समस्याओं का समाधान शीघ्र संभव होगा और अनावश्यक विलंब से बचा जा सकेगा।
नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्यवाही
यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी अधिकारी/कर्मी द्वारा इन निर्देशों की अवहेलना की जाती है, तो उनके खिलाफ कठोर विभागीय कार्यवाही की जाएगी। माननीय सदन में इस मुद्दे के उठने के बाद सरकार ने आदेशों के अनुपालन को और अधिक सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है।
निष्कर्ष
जनप्रतिनिधियों के पत्र केवल औपचारिकता नहीं हैं, बल्कि जनता की समस्याओं के समाधान का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। सरकार की मंशा है कि इन पत्रों पर तेजी से कार्यवाही कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाए।
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