पतियों की बढ़ती आत्महत्या पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का बड़ा बयान: परिवार के संस्कार और दखलंदाजी को बताया जिम्मेदार
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उत्तर प्रदेश: बीते कुछ समय से पुरुषों के बीच आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। इसी विषय पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने एक साहसिक और विचारोत्तेजक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि इन दुखद घटनाओं के पीछे कोई पुरुष आयोग बनाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि महिलाओं और परिवारों को अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा।
क्या कहा बबीता चौहान ने?
“महिलाएं यदि बेटियों की ससुराल में हस्तक्षेप बंद कर दें, तो समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी।”
बबीता चौहान ने साफ तौर पर संकेत किया कि परिवारों में दखलंदाजी, खासतौर से मां द्वारा बेटियों को दिए गए संस्कार कई बार वैवाहिक जीवन में तनाव और फिर गंभीर परिणामों का कारण बनते हैं।
आत्महत्या की घटनाओं के पीछे मुख्य कारण
- परिवारों के गलत संस्कार: माता-पिता विशेषकर मां के दिए गए कुछ संस्कार ऐसे होते हैं, जो दांपत्य जीवन में संतुलन बिगाड़ते हैं।
- सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया पर बढ़ती सक्रियता ने भी वैवाहिक रिश्तों में असंतोष और तुलना की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है।
- दोहरी कमाई और काम का तनाव: आज पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने से समय की कमी, काम का दबाव और आपसी संवाद में कमी की समस्या गहराई है, जो मनमुटाव और अंततः अवसाद का कारण बनती है।
पुरुष आयोग की मांग पर विचार
समाज के कुछ वर्गों द्वारा पुरुष आयोग बनाने की मांग जोर पकड़ रही है, लेकिन बबीता चौहान का मानना है कि मूल समस्या का समाधान नयी संस्थाएं बनाने में नहीं, बल्कि पारिवारिक संस्कार और सोच में बदलाव लाने में है।
समाज में सच्चे बदलाव के लिए जरूरी है कि हम परिवार में संवाद, सम्मान और संतुलन को फिर से स्थापित करें।
आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? क्या पुरुषों के लिए भी आयोग की जरूरत है? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर लिखें।
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