गर्मी में अतिरिक्त एक घंटे की अनिवार्यता पर विवाद, शिक्षकों ने की राहत की मांग
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गर्मी में शिक्षकों के लिए अतिरिक्त एक घंटे की अनिवार्यता पर सवाल, संघ ने राहत की मांग की
👉 बेसिक शिक्षा विभाग ने गर्मी के कारण पढ़ाई का समय सुबह 7:30 से 12:30 तक तय किया, लेकिन शिक्षकों को एक घंटा और रुकने की अनिवार्यता पर उठे सवाल।
क्या है मामला?
बेसिक शिक्षा विभाग ने गर्मी के मद्देनज़र परिषदीय विद्यालयों का समय सुबह 7:30 से दोपहर 12:30 बजे तक निर्धारित किया है।
- शिक्षकों और कर्मचारियों को 1:30 बजे तक विद्यालय में रुकने का आदेश दिया गया।
- यह निर्णय तब लिया गया जब प्रदेश में गर्मी की लहर बढ़ रही है, ताकि बच्चों को तेज़ धूप से बचाया जा सके।
शिक्षक संघ का विरोध
- प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और महानिदेशक, स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर इस आदेश पर आपत्ति जताई है।
- एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि इस भीषण गर्मी में शिक्षकों को अतिरिक्त एक घंटा विद्यालय में रुकने की अनिवार्यता देना उचित नहीं है।
- उन्होंने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती होती है और नेटवर्क धीमा चलने की वजह से ऑनलाइन काम भी नहीं हो पाता। ऐसे में शिक्षक और क्या काम करेंगे?”
शिक्षकों की राहत की मांग
- एसोसिएशन ने मांग की है कि शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए गए इस अतिरिक्त एक घंटे को वैकल्पिक बना दिया जाए।
- इस समय को अनिवार्य करने के बजाय वैकल्पिक किया जाए, ताकि शिक्षकों को गर्मी और अन्य कठिनाइयों से राहत मिल सके।
शिक्षकों के हित में समाधान की आवश्यकता
शिक्षकों के लिए दी गई इस अतिरिक्त समय की अनिवार्यता पर उठे सवाल शिक्षा विभाग के लिए एक चुनौती बन गए हैं।
🔴 इससे एक ओर चिंता यह है कि जब शिक्षक अतिरिक्त घंटे विद्यालय में रुकने के बावजूद काम नहीं कर पा रहे हैं, तो उनका समय और ऊर्जा व्यर्थ जा रहे हैं।
शिक्षक संघ का मानना है कि उनकी कठिनाइयों को समझते हुए निर्णय में सुधार किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
शिक्षकों का कहना है कि गर्मी की वजह से उनके लिए पहले से ही कठिन परिस्थितियां हैं, ऐसे में अतिरिक्त एक घंटे की अनिवार्यता उन्हें और अधिक परेशान कर सकती है।
📝 जल्द ही इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग को पुनः विचार करना चाहिए ताकि शिक्षक और छात्र दोनों के लिए स्थिति सुधरी जा सके।