जानिए क्या है :-शिमला समझौता और सिंधु जल समझौता: भारत-पाक संबंधों की दो ऐतिहासिक संधियाँ

शिमला समझौता और सिंधु जल समझौता: भारत-पाक संबंधों की दो ऐतिहासिक संधियाँ
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भूमिका

भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक कई संधियाँ और समझौते हुए हैं, लेकिन दो समझौते ऐसे हैं जिन्होंने दक्षिण एशिया की राजनीति और कूटनीति की दिशा तय की है—शिमला समझौता (Shimla Agreement) और सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty)। इन दोनों समझौतों ने दशकों तक द्विपक्षीय संबंधों को दिशा दी, और अब भी इनके उल्लंघन या स्थगन की चर्चा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर होती रहती है।


शिमला समझौता (Shimla Agreement) – 2 जुलाई 1972

पृष्ठभूमि

1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था। बांग्लादेश के गठन के बाद भारत ने लगभग 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया था। इस युद्ध के बाद शांति बहाल करने और भविष्य में संघर्ष से बचने के लिए भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच यह ऐतिहासिक समझौता हुआ।

मुख्य बिंदु

  • भारत और पाकिस्तान अपने-अपने विवादों को आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाएंगे।
  • संघर्ष विराम रेखा को ‘नियंत्रण रेखा (LoC)’ के रूप में स्वीकार किया गया।
  • दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
  • भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों को रिहा करने का निर्णय लिया।
  • कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय रूप में हल करने पर जोर दिया गया।

महत्व

यह समझौता भारत की राजनयिक विजय के रूप में देखा गया, जिसमें भारत ने बिना कोई बड़ा सैन्य दबाव छोड़े ही पाकिस्तान से दीर्घकालिक वचनबद्धता प्राप्त की।

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सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) – 19 सितम्बर 1960

पृष्ठभूमि

भारत और पाकिस्तान की सीमाओं से बहने वाली सिंधु नदी प्रणाली में छह नदियाँ आती हैं: सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज। इन नदियों के जल को लेकर विभाजन के बाद तनाव उत्पन्न हो गया था। इसको सुलझाने के लिए विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह समझौता हुआ।

संधि की शर्तें

  • पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) का जल अधिकार पाकिस्तान को दिया गया।
  • पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलज) का जल उपयोग का अधिकार भारत को प्राप्त हुआ।
  • भारत को पश्चिमी नदियों पर कुछ सीमित सिंचाई, पनबिजली और भंडारण परियोजनाएं विकसित करने की अनुमति दी गई।
  • एक स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना हुई जो जल विवादों के निपटारे के लिए कार्य करता है।

महत्व और आलोचना

  • यह संधि अब तक की सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय जल संधियों में मानी जाती है।
  • कई बार तनाव के बावजूद दोनों देश इस संधि का पालन करते रहे हैं
  • भारत में इसे अक्सर एकतरफा रूप से उदार समझौता माना गया है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में

हाल के वर्षों में, भारत ने सिंधु जल समझौते को लेकर कड़े रुख अपनाने शुरू किए हैं। पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों के चलते भारत ने संधि की समीक्षा और संसाधनों के पुनः मूल्यांकन की बात की है।

वहीं, शिमला समझौता को लेकर पाकिस्तान बार-बार कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है, जो कि इस समझौते का स्पष्ट उल्लंघन है।


निष्कर्ष

शिमला समझौता और सिंधु जल समझौता सिर्फ दो दस्तावेज नहीं हैं, बल्कि ये दक्षिण एशिया की राजनीतिक परिपक्वता, कूटनीतिक प्रयासों और भविष्य की दिशा को दर्शाते हैं। आज भी ये समझौते भारत-पाक रिश्तों की नींव हैं, जिनके आधार पर दोनों देशों को आगे बढ़ने की जरूरत है।


“इतिहास के आईने में झांककर ही भविष्य की राह तय होती है…”
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✍️ लेखक: सरकारी कलम| प्रकाशित: | स्रोत: ऐतिहासिक दस्तावेज व समाचार ब्यूरो

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