🔔 सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: POCSO केस में केरल के शिक्षक के खिलाफ फिर चलेगा मुकदमा
⚖️ क्या है मामला?
केरल के एक स्कूल शिक्षक पर 52 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का आरोप है। पहले केरल हाईकोर्ट ने इस मामले की एफआईआर को रद्द कर दिया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को असंवेदनशील करार देते हुए मुकदमा बहाल कर दिया है।
🧾 सुप्रीम कोर्ट के मुख्य बिंदु:
👩⚖️ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा:
🔹 “हम हाईकोर्ट के इस रवैये से निराश हैं। हाईकोर्ट ने यह अनदेखा कर दिया कि आरोपी शिक्षक था और पीड़ित छात्र।”
🔹 “प्राथमिक बयानों से POCSO अधिनियम के तहत अपराध की पुष्टि होती है।”
🔹 “केस को रद्द करना एक ‘मिनी ट्रायल’ जैसा था, जो इस स्तर पर उचित नहीं।”
🚫 शिक्षक को बहाल नहीं किया जाएगा:
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को निर्देश दिया कि:
- आरोपी शिक्षक को मामले की सुनवाई पूरी होने तक बहाल नहीं किया जाएगा।
😠 ‘समझौते’ की कोशिश पर भी सवाल:
➡️ आरोपी शिक्षक ने एक पीड़िता से कथित तौर पर समझौता करने के बाद एफआईआर रद्द कराने की याचिका दायर की थी।
➡️ सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्याय प्रक्रिया के दुरुपयोग की कोशिश करार दिया।
🧒 बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि:
यह मामला POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पीड़ित बच्चों के साथ न्याय करना सर्वोपरि है, और ऐसे मामलों को संवेदनशीलता और गंभीरता से देखा जाना चाहिए।
📌 निष्कर्ष:
यह फैसला बताता है कि:
✅ बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है
✅ न्याय व्यवस्था में असंवेदनशीलता की कोई जगह नहीं
✅ “समझौता” कर अपराध से बच निकलने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
📰 इस तरह की न्यायिक खबरों को पढ़ने के लिए विज़िट करें SarkariKalam.com
✍️ रिपोर्ट: शुभम पटेल
📅 अपडेट: 24 अप्रैल 2025
📣