चीनी: हर अंग के लिए जहर, कैंसर सेल्स की फेवरेट
चीनी का सेवन हमारे जीवन का एक सामान्य हिस्सा बन चुका है, चाहे वह घर पर बनी मिठाई हो या दुकान से खरीदी गई मिठाई। कभी-कभी इसका सेवन नुकसानदेह नहीं होता, लेकिन जब यह रोजाना की आदत बन जाए, तो इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
चीनी का एडिक्टिव नेचर
चीनी की लत बहुत हद तक शराब और सिगरेट की लत की तरह होती है। यह हमारे दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर केमिकल्स को झूठे संदेश भेजकर यह बताती है कि हमें और चीनी की जरूरत है। यह न केवल हमें मोटा और सुस्त बनाती है, बल्कि हमारी प्रोडक्टिविटी को भी घटा देती है।
स्वास्थ्य पर असर
- टाइप-2 डायबिटीज: अधिक चीनी का सेवन लंबे समय तक टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है, क्योंकि यह मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बनता है।
- कार्डियोवस्कुलर डिजीज: एक अध्ययन के मुताबिक, अगर आप अपनी डेली कैलोरी का 17-21% हिस्सा चीनी से प्राप्त करते हैं, तो आपको दिल की बीमारियों से मरने का खतरा 38% बढ़ सकता है। यह ब्लड वेसल्स की भीतरी परत को नुकसान पहुंचा सकती है।
- कैंसर: ज्यादा चीनी का सेवन इंफ्लेमेशन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, और मोटापे को बढ़ा सकता है, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। कुछ अध्ययनों में यह पाया गया कि स्वीट ड्रिंक्स से कैंसर का खतरा 200% तक बढ़ जाता है।
शुगर की सीमा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 2015 में सलाह दी थी कि दिनभर की कुल कैलोरी का 5% से अधिक हिस्सा ऐडेड शुगर से नहीं आना चाहिए। इसका मतलब है, अगर आप 2000 कैलोरी लेते हैं, तो 100 कैलोरी से ज्यादा शुगर नहीं होनी चाहिए।
गूगल का कानूनी झटका गूगल को एक ऐतिहासिक प्रतिस्पर्धा-विरोधी मुकदमे में हार का सामना करना पड़ा है। यह मामला पिछले वर्ष के उसी प्रकार के एक मुकदमे के बाद हुआ है, जिसमें कंपनी को नुकसान हुआ था। इस मुकदमे में गूगल पर आरोप था कि वह अपने विज्ञापन प्लेटफॉर्म का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। मेटा भी अमेरिका में एक कानूनी लड़ाई में उलझा हुआ है, जो उसके संचालन के तरीके को बदलने के साथ-साथ दुनियाभर में संवाद के तरीकों को प्रभावित कर सकती है।