वक्फ अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बहस: मुस्लिमों को हिंदू धार्मिक न्यासों में शामिल करने पर केंद्र से सवाल
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा: “क्या आप मुसलमानों को हिंदू धार्मिक न्यासों में सदस्य बनने देंगे?”
- वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली 60 से अधिक याचिकाएं दाखिल।
- दिल्ली हाईकोर्ट की इमारत और ओबेरॉय होटल भी वक्फ जमीन पर होने का दावा।
- सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अंतरिम आदेश पारित करेंगे।
सुनवाई में क्या हुआ?
बुधवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सख्त टिप्पणियां कीं।
जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “मुस्लिम समुदाय का बड़ा वर्ग वक्फ अधिनियम द्वारा शासित नहीं होना चाहता”, तब मुख्य न्यायाधीश ने तीखा सवाल किया:
“क्या अब आप मुस्लिमों को हिंदू धार्मिक न्यासों में भी सदस्य बनने देंगे?”
तीन संभावित अंतरिम आदेश:
- वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को बिना कारण अधिसूचना से बाहर नहीं किया जाएगा।
- वह प्रावधान लागू नहीं होगा, जो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं मानता।
- वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में सभी सदस्य (पदेन को छोड़कर) मुस्लिम होने चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें:
- कपिल सिब्बल ने कहा कि 300 साल पुरानी संपत्तियों के कोई दस्तावेज नहीं हैं, तो “अब उनसे डीड पेश करने को कहा जाएगा?”
- उन्होंने गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का विरोध किया और इसे अनुच्छेद 26 का उल्लंघन बताया।
- अभिषेक मनु सिंघवी ने “वक्फ-बाय-यूजर” शब्द हटाने पर चिंता जताई — चार लाख से अधिक संपत्तियां इससे प्रभावित हो सकती हैं।
राज्यों की स्थिति और याचिकाएं:
- असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र ने अधिनियम के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
- हाईकोर्ट में लंबित 140 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव।
साम्प्रदायिक तनाव और ममता बनर्जी के आरोप:
- मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में वक्फ कानून के विरोध में हिंसा, तीन की मौत।
- ममता बनर्जी ने कहा: “यह पूर्व नियोजित था, बीएसएफ और केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका संदिग्ध।”
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “वक्फ पर हो रही हिंसा चिंताजनक है, लोग अदालत का इंतजार करें, हिंसा न करें।”
दिल्ली हाईकोर्ट की इमारत भी वक्फ जमीन पर?
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें जानकारी दी गई है कि:
- दिल्ली हाईकोर्ट की इमारत और ओबेरॉय होटल वक्फ भूमि पर बने हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का कहना: “सभी वक्फ-बाय-यूजर संपत्तियां गलत नहीं हैं, परंतु चिंताएं बनी हुई हैं।”
निष्कर्ष:
यह मामला न केवल वक्फ संपत्तियों की कानूनी वैधता का है, बल्कि धर्म, संपत्ति और संविधानिक अधिकारों की टकराहट का भी है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां बताती हैं कि यह बहस केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी गहरी असर छोड़ने वाली है।