NCERT पाठ्यपुस्तकों में नए हिंदी नामों पर विवाद: अंग्रेजी माध्यम की किताबों को ‘पूर्वी’, ‘मृदंग’ जैसे शीर्षक

NCERT पाठ्यपुस्तकों में नए हिंदी नामों पर विवाद: अंग्रेजी माध्यम की किताबों को ‘पूर्वी’, ‘मृदंग’ जैसे शीर्षक

– भाषा विशेषज्ञों ने उठाए सवाल, गैर-हिंदी क्षेत्रों में उच्चारण को लेकर चिंता

नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2025 – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी अंग्रेजी माध्यम की पाठ्यपुस्तकों को रोमन लिपि में हिंदी नाम देने का निर्णय लिया है, जिससे एक नया भाषाई विवाद खड़ा हो गया है। इस कदम को कुछ शिक्षाविद “भ्रमित करने वाला” और “गैर-हिंदी भाषी राज्यों के लिए अनुचित” बता रहे हैं, जबकि NCERT ने अभी तक इसका कोई औपचारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

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पाठ्यपुस्तकों के नए नाम: क्या बदला?

  1. कक्षा 6 की अंग्रेजी पुस्तक:
  • पुराना नाम: हनीसकल (Honeysuckle)
  • नया नाम: पूर्वी (Pūrvī) – हिंदी शब्द जिसका अर्थ “पूर्व दिशा” या एक शास्त्रीय राग है।
  1. प्राथमिक कक्षाओं की पुस्तकें:
  • कक्षा 1-2: मृदंग (Mridang) – एक भारतीय वाद्य यंत्र।
  • कक्षा 3: संतूर (Santoor) – एक और वाद्य यंत्र का नाम।
  1. गणित की पुस्तकें:
  • कक्षा 6 की गणित पुस्तक अब “गणित प्रकाश” (Ganit Prakash) कहलाएगी, जबकि पहले यह अंग्रेजी में Mathematics और हिंदी में गणित थी।
  1. अपवाद:
  • कक्षा 6 की विज्ञान पुस्तक का नाम “क्यूरियोसिटी” (अंग्रेजी), “जिज्ञासा” (हिंदी), “तजस्सुस” (उर्दू) ज्यों का त्यों बरकरार है।

विवाद के मुख्य बिंदु

  1. रोमन लिपि में हिंदी नामों की समस्या:
  • भाषा विशेषज्ञों का कहना है कि रोमन में हिंदी शब्दों का उच्चारण सही नहीं हो पाता (जैसे: “गणित” में “ण” का उच्चारण)।
  • गैर-हिंदी भाषी छात्रों और शिक्षकों के लिए समझने में दिक्कत
  1. राजनीतिक आरोप:
  • तमिलनाडु जैसे राज्यों में आरोप लग रहा है कि यह “हिंदी थोपने” की कोशिश है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने का उद्देश्य बताया जा रहा है।
  1. NCERT का रुख:
  • NCERT निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी द्वारा लिखित प्रस्तावना में कहा गया है कि पुस्तकों में भारतीय संस्कृति, लैंगिक समानता और पर्यावरण जैसे मूल्य शामिल हैं, लेकिन नाम बदलने का कारण नहीं बताया गया।

शिक्षाविदों की प्रतिक्रिया

  • डॉ. किरण मलिक (शिक्षा नीति विशेषज्ञ):
    “यह कदम भाषाई विविधता की अनदेखी करता है। गैर-हिंदी क्षेत्रों में छात्रों को समझने में दिक्कत होगी।”
  • प्रो. एम. शिवनाथन (तमिलनाडु):
    “हम पहले ही तीन भाषा फॉर्मूले का विरोध कर चुके हैं। यह फिर से हिंदी को बढ़ावा देने की कोशिश है।”

आगे की राह

  • NCERT से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस निर्णय का स्पष्टीकरण दे।
  • गैर-हिंदी राज्यों की प्रतिक्रिया पर नजर रखी जा रही है।
  • शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता हो सकती है ताकि वे नए नामों को सही ढंग से पढ़ा सकें।

निष्कर्ष

NCERT का यह कदम भारतीय संस्कृति को पाठ्यक्रम से जोड़ने की दिशा में उठाया गया लगता है, लेकिन भाषाई संवेदनशीलता की कमी के कारण यह विवादों में घिर गया है। अब देखना है कि केंद्र सरकार और NCERT इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

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(NCERT की आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार। अधिक जानकारी के लिए ncert.nic.in देखें।)

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