मोबाइल की लत या ज़रूरत?📱 बच्चों में स्क्रीन टाइम पर विशेषज्ञों की राय
डॉ. किरण अरोड़ा के व्याख्यान से ली गई सीखें
डिजिटल युग में स्क्रीन अनिवार्य है, लेकिन सीमा ज़रूरी है ⚖️
आज की दुनिया में मोबाइल और लैपटॉप हमारी ज़िंदगी के जरूरी हिस्से बन चुके हैं। काम हो या पढ़ाई, मनोरंजन हो या जानकारी — हर चीज़ स्क्रीन से जुड़ी है। लेकिन ये ज़रूरी है कि हम और हमारे बच्चे इसकी गिरफ्त में ना फँसें।
डॉ. किरण अरोड़ा, दिल्ली की विशेषज्ञ, ने आईएमए सीजीपी रिफ्रेशर कोर्स में इस मुद्दे पर बहुत ही तार्किक और संवेदनशील बातें साझा कीं।
बच्चों को मोबाइल नहीं, समझ दीजिए 🧠👶
आजकल अक्सर देखा गया है कि डेढ़-दो साल के बच्चों को ही मोबाइल थमा दिया जाता है। इससे वे गेमिंग की लत का शिकार हो जाते हैं।
सच्चाई यह है:
“18 महीने से कम उम्र के बच्चों का दिमाग स्क्रीन टाइम को समझ ही नहीं पाता।”
पहले माता-पिता खुद सुधरें 🙋♂️🙋♀️
डॉ. अरोड़ा ने कहा —
“अगर आप बच्चों को सही दिशा देना चाहते हैं, तो पहले खुद अपना स्क्रीन टाइम सीमित करें।”
- बच्चों के दोस्त बनें
- अकबर-बीरबल जैसी कहानियों में उनकी रुचि जगाएँ 📚
- और उन्हें घर का डिजिटल मॉनीटर बनाएं 👮♂️
⚠️ जरूरी बातें जो हर अभिभावक को पता होनी चाहिए:
- 📉 अत्यधिक स्क्रीन से ध्यान अवधि कम होती है, चिंता और अवसाद बढ़ता है
- 🤝 स्क्रीन कभी भी मानव संपर्क का विकल्प न बने
- ⏱️ स्क्रीन टाइम की सीमा सख्ती से निर्धारित करें
- ⚽ आउटडोर एक्टिविटी को बढ़ावा दें — स्वस्थ जीवन शैली के लिए
गाइडलाइन: उम्र के अनुसार स्क्रीन टाइम कितना हो? 👶➡️🧒➡️👦
0-18 महीने:
- ❌ स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखें
- इस उम्र में स्क्रीन नुकसान ही करता है
18-24 महीने:
- ✅ स्क्रीन का सीमित इस्तेमाल — सिर्फ माता-पिता की निगरानी में
- उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री चुनें
2-5 साल:
- ⏰ एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम न हो
- शैक्षिक, इंटरऐक्टिव, अहिंसक और समाज हितैषी कंटेंट चुनें
- बच्चे के साथ मिलकर देखें
5 साल से ऊपर:
- 💤 पर्याप्त नींद, परिवार के साथ समय और खेलकूद बाधित नहीं होना चाहिए
- 🔍 बच्चों को इंटरनेट के फायदे और नुकसान दोनों समझाएं
- 🧒 उन्हें घर का डिजिटल मॉनीटर बनाएं
कोविड के बाद मोबाइल की जरूरत बढ़ी, पर लत नहीं बननी चाहिए 🦠➡️📲
डॉ. अरोड़ा ने कहा —
“कोविड के समय में मोबाइल ज़रूरत बना, अब वही आदत बन चुकी है।”
- अब तो पूरा परिवार स्क्रीन में डूबा रहता है
- इससे बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद कम होता जा रहा है
- दूध पीते बच्चे को भी चुप कराने के लिए स्क्रीन थमाना गलत आदत की शुरुआत है
तो क्या करें?✅
- घर में ऐसे खेल और एक्टिविटीज़ करें जिससे बच्चे को गेमिंग जैसी खुशी मिले
- रोज़ सब लोग अपना स्क्रीन टाइम चेक करें ⏳
- बच्चों को नुकसान समझाएं, और उन्हें डिजिटल संतुलन की आदत डालें
निष्कर्ष: डिजिटल ज़माना है, मगर ज़िंदगी इससे आगे है ✨
स्क्रीन का उपयोग पूरी तरह छोड़ना संभव नहीं, लेकिन संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
अगर माता-पिता डिजिटल अनुशासन अपनाते हैं, तो बच्चे भी उसी राह पर चलेंगे।
चलो एक नई शुरुआत करें — संतुलित स्क्रीन टाइम के साथ! ✅📵
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