इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला: तीसरी बार मातृत्व अवकाश पर विचार का आदेश 👩⚖️🤰
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“तीसरी बार मातृत्व अवकाश पर रोक गलत” – हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को एक सहायक अध्यापिका की तीसरी बार मातृत्व अवकाश की अर्जी पर विचार करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने यह फैसला प्रयागराज की शिक्षिका रोली पांडेय की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
क्या है मामला? 📜
- रोली पांडेय, सोनबरसा स्थित विद्यालय में सहायक अध्यापिका हैं।
- वह तीसरी बार गर्भवती हुईं और 180 दिन के वेतन सहित मातृत्व अवकाश की मांग की।
- बेसिक शिक्षा विभाग ने उनके आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि सेवाकाल में केवल दो बार ही मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है।
याचिकाकर्ता का पक्ष 🗣️
रोली पांडेय ने हाईकोर्ट में दलील दी कि –
✔️ उन्हें पहले दो बार मातृत्व अवकाश मिल चुका है।
✔️ लेकिन पैदा हुए बेटे का निधन हो गया और अब उनकी सिर्फ 13 साल की एक बेटी है।
✔️ ऐसे में, वह तीसरी बार मातृत्व अवकाश पाने की हकदार हैं।
हाईकोर्ट का निर्देश ⚖️
कोर्ट ने विभाग को याचिकाकर्ता के आवेदन पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। यह फैसला महिला कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर एक मिसाल बन सकता है।
बहरिया ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज 🗳️❌
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कोर्ट का फैसला:
- जिला जज रजनीश कुमार मिश्रा ने बहरिया ब्लॉक प्रमुख शशांक मिश्रा के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
- याची योगेश पांडेय ने आरोप लगाया था कि 21 फरवरी 2022 के चुनाव में मतदाताओं को डराया-धमकाया गया और मतपत्रों की गोपनीयता भंग की गई।
- लेकिन, 3 साल के ट्रायल में याची ठोस सबूत पेश नहीं कर सका, इसलिए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
सेवानिवृत्ति से पहले पसंदीदा जिले में तबादले पर हाईकोर्ट का आदेश 🏛️🔄
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मामला क्या था?
- विजय बहादुर सिंह, एक अधिशासी अभियंता, जिन्हें आगरा से सहारनपुर स्थानांतरित किया गया।
- उनकी सेवानिवृत्ति में केवल 2 साल शेष हैं, और वे प्रयागराज में तैनाती चाहते थे।
- 11 जून 2024 के शासनादेश के अनुसार, सेवानिवृत्ति से 2 साल पहले कर्मचारी को उसकी पसंद के जिले में तैनात किया जा सकता है।
हाईकोर्ट का निर्देश:
- न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा कि प्राधिकारी को इस पर विचार करना चाहिए।
- याची को नई अर्जी देने और प्राधिकारी को शासनादेश के अनुसार फैसला लेने का निर्देश दिया गया।
निष्कर्ष:
- मातृत्व अवकाश के मामले में हाईकोर्ट का फैसला महिला अधिकारों को मजबूती देता है।
- चुनाव याचिका खारिज होने से बहरिया ब्लॉक प्रमुख को राहत मिली।
- सरकारी कर्मचारियों के तबादले संबंधी अधिकारों पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट राय दी।
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