अरावली की आड़ में साइबर ठगी का खेल
हरियाणा और राजस्थान की सरहद पर बसा मेवात अब साइबर ठगी का नया गढ़ बनता जा रहा है — जामताड़ा को भी पीछे छोड़ते हुए। यहां के नूंह, फिरोजपुर झिरका, कैथवाड़ा, सीकरी और गोपालगढ़ जैसे इलाकों में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कभी मोबाइल सिग्नल हरियाणा के होते हैं, तो कभी राजस्थान के। यही नेटवर्क का खेल साइबर ठगों का हथियार बन गया है।
टटलूबाजी का नया रूप: हाईटेक साइबर क्राइम
टटलूबाजी — जो कभी सिर्फ सोने की ईंट और भैंस चोरी तक सीमित थी — अब WhatsApp, वीडियो कॉल और सोशल मीडिया तक पहुंच चुकी है।
- युवकों को ट्रेनिंग दी जाती है: सुबह होते ही अरावली की पहाड़ियों में ‘क्लास’ लगती है।
- फेक प्रोफाइल बनाकर लड़कियों की तरह चैटिंग, फिर WhatsApp कॉल और वीडियो कॉल में अश्लील वीडियो दिखाकर ब्लैकमेलिंग।
- खुद को पुलिस बताकर धमकाना, और डर के मारे लोग पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
एक युवक ने बताया:
“मैंने भी सीखा था, पहले महीने में एक लाख कमाया। पर पुलिस की रेड के बाद रिश्तेदार जेल गए, तो छोड़ दिया।”
“सोने की ईंट” से व्यापारियों को फंसाने की चाल
- गरीब किसान या मजदूर बनकर व्यापारियों को कॉल किया जाता है।
- कहा जाता है कि पुराने मकान से सोने की ईंट मिली है।
- असली सोने का छोटा सैंपल भेजा जाता है।
- जब व्यापारी आ जाता है, तो नकली ईंट देकर ठग लिया जाता है।
ऑनलाइन फ्रॉड में देशभक्ति का इस्तेमाल
OLX, Quikr, Facebook Marketplace जैसी वेबसाइटों पर कार-बाइक के फर्जी विज्ञापन डाले जाते हैं।
- खुद को सेना में तैनात बताकर पोस्टिंग का हवाला दिया जाता है।
- लोग भरोसा करके एडवांस में पैसा भेज देते हैं, और ठगी हो जाती है।
- ये पैसे अब ठगों के आलीशान घर और महंगी गाड़ियों में बदल रहे हैं।
“सोशल जागरूकता बनाम साइबर ठग” – मेवात में बदलाव की बयार
राजस्थान के डीग जिले के पालड़ी गांव ने साइबर क्राइम के खिलाफ बिगुल बजा दिया है।
- 300 मोबाइल और 400 सिम कार्ड गांववालों ने तोड़ दिए।
- कहा – “हम अब अपराध नहीं सहेंगे।”
लेकिन चुनौती अभी बाकी है…
- हरियाणा के बिछौर, नवलगढ़, लफूरी
- राजस्थान के जुरहेड़ा, धीमरी, कठोल जैसे गांव अब भी ठगी के गढ़ बने हुए हैं।
पुलिस का एक्शन – SP विजय प्रताप की अगुवाई में मिशन क्लीनअप
नूंह जिले में लगातार साइबर ठगों के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा है।
- कई गिरोह गिरफ्तार किए गए हैं।
- पुलिस भी तकनीकी मदद से लोकेशन ट्रेसिंग, IP लॉगिंग और डिजिटल सर्विलांस जैसे टूल्स का सहारा ले रही है।
निष्कर्ष: जागरूकता ही बचाव है!
ठगी की ये नई दुनिया जितनी हाईटेक है, उससे लड़ने के लिए लोगों को उतना ही सतर्क होना होगा।
- कोई भी ऑफर जो बहुत अच्छा लगे, उस पर दो बार सोचिए।
- अनजान लोगों से वीडियो कॉल या ट्रांजैक्शन ना करें।
- और सबसे जरूरी – अपने आसपास साइबर अपराध की जानकारी लोगों को दें।
सिर्फ कानून नहीं, समाज भी उठाए कदम – तभी रुकेगा ये नया जामताड़ा!
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