भारत में SMA मरीजों की तड़पती ज़िंदगी और 6.2 लाख की दवा! सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- पाक-चीन में सस्ती तो भारत में क्यों नहीं?
6.2 लाख की एक शीशी! SMA मरीजों पर टूटा दर्द का पहाड़**
स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) – एक दुर्लभ लेकिन जानलेवा बीमारी जिससे जूझ रही हैं भारत में सैकड़ों ज़िंदगियां। इलाज है, लेकिन कीमत इतनी ऊंची कि गरीब-मध्यमवर्ग के लिए नामुमकिन।
एक शीशी दवा ‘रिसडिप्लाम’ की कीमत ₹6.2 लाख!
क्या ये इंसाफ है?
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का तीखा सवाल: जब पाकिस्तान में ₹41,000 और चीन में ₹44,692… तो भारत में 6 लाख क्यों?
भारत की सर्वोच्च अदालत ने आखिरकार आवाज़ उठाई।
एफ. हॉफमैन-ला रोश लिमिटेड, जो रिसडिप्लाम बनाती है, से कोर्ट ने सीधा सवाल किया –
“क्या आप भारत में भी वही दाम नहीं दे सकते जो आप पड़ोसी देशों में दे रहे हैं?”
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार, और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि दवा की अंतरराष्ट्रीय कीमतें कोर्ट को अगली सुनवाई में बताई जाएं।
सबा की कहानी: ज़िंदगी की जंग, कानून की उम्मीद**
केरल की 24 साल की सबा, SMA से पीड़ित हैं और उनकी कहानी देशभर के मरीजों की आवाज़ बन गई।
उनके वकील आनंद ग्रोवर ने कोर्ट में बताया –
“जब पाकिस्तान और चीन में सरकारें हस्तक्षेप कर दवा सस्ती करवा सकती हैं, तो भारत क्यों नहीं?”
सवाल बिल्कुल सही है – क्या गरीब की जान की कीमत कम है?
भारत बनाम पड़ोसी देश: दवा कीमतों का चौंकाने वाला फर्क
- भारत: ₹6,20,000 प्रति शीशी
- पाकिस्तान: ₹41,000 प्रति शीशी
- चीन: ₹44,692 प्रति शीशी
क्या आपको लगता है ये फासला सिर्फ दाम का है? नहीं! ये फासला नीति, नियत और न्याय का है।
केरल हाईकोर्ट का आदेश होल्ड पर, अगली सुनवाई 8 अप्रैल को
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल केरल हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक जारी रखी है, जिसमें केंद्र सरकार को सबा को 18 लाख की दवा देने का आदेश दिया गया था।
अब पूरे देश की नजरें 8 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
सरकार से उम्मीद या संघर्ष का नया मोर्चा?
इस केस ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं –
- क्या विदेशी दवा कंपनियों पर सरकार नकेल कस पाएगी?
- क्या भारत में भी जीवन रक्षक दवाइयां आम जनता के लिए सुलभ होंगी?
- क्या ‘हक से स्वास्थ्य’ सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा?
आपकी आवाज़ जरूरी है!
क्या आप मानते हैं कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए?
कमेंट करें, शेयर करें और इस दर्द को आवाज़ दें।
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