44 दिन रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’, ठगे 82 लाख रुपए
कानपुर: साइबर ठगों की शातिर चालबाजियों ने एक बार फिर साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर किया है। सीबीआई अधिकारी बनकर ठगों ने एक वरिष्ठ नागरिक को डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर लगभग 82 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया। पीड़ित को पूरे 44 दिन तक मानसिक भय में रखा गया और रकम ट्रांसफर कराई गई।
कैसे रचा गया फ्रॉड का जाल?
फर्जी सीबीआई अधिकारी ने पीड़ित को बताया कि उनके खिलाफ एक भविष्य निधि संगठन में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप हैं और उन्हें जांच के लिए डिजिटल अरेस्ट में रखा जाएगा।
उन्होंने पीड़ित को एक ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी के नाम पर फर्जी फॉर्म भरवाया और बताया कि उनके नाम से ₹8.62 लाख के कॉर्पोरेट टैक्स की देनदारी है। डर और भ्रम की स्थिति में आकर पीड़ित ने ठग के बताए अनुसार पैसा ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
फोन बंद, संपर्क टूटा और सच्चाई सामने आई
24 मार्च को पीड़ित को तथाकथित रूप से डिजिटल अरेस्ट किया गया था। ठग ने कहा था कि जब तक जांच पूरी नहीं होगी, मोबाइल बंद रखना होगा। कुछ दिनों बाद जब संपर्क टूट गया तो पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने अपनी बेटियों को पूरी बात बताई।
इसके बाद मामला साइबर सेल और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
साइबर ठगों का नया रूप: डिजिटल डरावनी कहानी
इस पूरे मामले ने यह साबित कर दिया कि साइबर अपराधी अब भावनात्मक और मानसिक दबाव डालने के नए तरीके अपना रहे हैं। “डिजिटल अरेस्ट” जैसे नए जाल को रचकर, वे सीधे पीड़ित की मानसिकता पर वार करते हैं।
सावधानी ही सुरक्षा
यदि कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताकर डराने की कोशिश करे, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। किसी भी तरह का भुगतान करने से पहले जानकारी की पुष्टि अवश्य करें।
SARKARIKALAM