सरकारी स्कूल में कराया SDM सौरभ यादव ने अपनी बेटी आद्या का  दाखिला



मऊ के छिवलहा स्थित इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल ने सरकारी स्कूलों की छवि को पूरी तरह बदल दिया है। यहां की गुणवत्ता ने SDM को भी अपनी बेटी का दाखिला यहीं कराने के लिए प्रेरित किया।


सरकारी स्कूल और अच्छी पढ़ाई…? यह अब सवाल नहीं रहा, बल्कि एक नई हकीकत बन गई है।
सरकारी स्कूलों को लेकर आम धारणा यही रही है कि वहां पढ़ाई का स्तर कमजोर होता है। लेकिन चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक का इंग्लिश मीडियम प्राइमरी विद्यालय छिवलहा इस सोच को तोड़ रहा है और शिक्षा की नई मिसाल पेश कर रहा है।

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SDM सौरभ यादव ने भी जताया भरोसा

छह महीने पहले मऊ ब्लॉक में नियुक्त SDM सौरभ यादव ने जब इस स्कूल का निरीक्षण किया था, तो वह वहां के शैक्षिक वातावरण, साफ-सफाई, और गुणवत्ता पूर्ण पढ़ाई को देखकर चकित रह गए। यही प्रभाव इतना गहरा था कि उन्होंने अपनी बेटी आद्या का नया सत्र यहीं से शुरू कराने का फैसला लिया।

पहले आद्या कर्वी के एक प्रतिष्ठित कान्वेंट स्कूल में पढ़ती थीं, लेकिन अब वह छिवलहा के सरकारी स्कूल में शिक्षा लेंगी। यह निर्णय खुद में समाज के उन अभिभावकों और शिक्षकों को आईना दिखाता है, जो निजी स्कूलों की आलोचना तो करते हैं लेकिन बच्चों को वहां भेजते हैं।


क्यों है छिवलहा स्कूल खास?

  • इंग्लिश मीडियम की बेहतरीन शिक्षा:
    विद्यालय में अंग्रेज़ी माध्यम से गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई कराई जाती है, जो किसी भी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है।
  • सुदृढ़ शैक्षणिक आधार:
    विद्यालय के प्रधानाध्यापक पवन जायसवाल के नेतृत्व में स्कूल ने शैक्षणिक गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
  • लंबी दूरी से आते हैं विद्यार्थी:
    मऊ कस्बे से लेकर 10 किलोमीटर दूर के ग्रामीण इलाकों से विद्यार्थी यहां पढ़ने आते हैं।
  • छात्र संख्या में बड़ा इज़ाफा:
    वर्तमान में विद्यालय में लगभग 200 छात्र पंजीकृत हैं और जुलाई तक यह संख्या 400 तक पहुंचने की संभावना है।

अभिभावकों में बढ़ रहा भरोसा

विद्यालय की गुणवत्ता देखकर अब समृद्ध परिवार भी अपने बच्चों को यहां दाखिला दिलवा रहे हैं। यह दर्शाता है कि जब सरकारी तंत्र ईमानदारी से कार्य करे, तो सरकारी स्कूल भी निजी संस्थानों से बेहतर हो सकते हैं।


“सरकारी स्कूल अगर ऐसा हो तो निजी स्कूलों की ज़रूरत ही क्या है!”


निष्कर्ष

मऊ का इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल छिवलहा आज एक उदाहरण है कि सरकारी स्कूल भी शिक्षा के क्षेत्र में कमाल कर सकते हैं। SDM सौरभ यादव का फैसला एक प्रेरणा है कि जब हम बदलाव की शुरुआत खुद से करें, तो पूरा समाज उसे अपनाने को मजबूर होता है।


Education is not about where you study, it’s about how you study – और छिवलहा स्कूल यही सिखा रहा है!

Stay inspired, stay educated!

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