मृतक कर्मचारी के परिजनों को मेडिकल बिल भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट
🔹 इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- देरी आधार नहीं हो सकता
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि मृतक कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को चिकित्सा बिलों के भुगतान से सिर्फ इस आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता कि उन्होंने देरी से आवेदन किया है।
➡️ न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने यह फैसला प्रयागराज की मैमुना बेगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
➡️ कोर्ट ने कहा, “जो लोग आकस्मिक लाभों के लिए पात्र हैं, उनके आवेदन को सिर्फ देरी के आधार पर अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।”
📌 क्या था मामला?
✅ मैमुना बेगम के पति, जो लोक निर्माण विभाग (PWD) रायबरेली में कार्यरत थे, गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
✅ पति की मृत्यु के बाद, याची (मैमुना बेगम) ने उनके मेडिकल बिलों के भुगतान के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने इसे ‘देरी’ के आधार पर अस्वीकार कर दिया।
✅ याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी और तर्क दिया कि पति की मृत्यु के बाद वह सदमे में थीं, इसलिए देरी से आवेदन किया।
⚖️ हाईकोर्ट ने क्या कहा?
➡️ कोर्ट ने विभाग के फैसले को अनुचित बताते हुए कहा कि मृतक कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को सिर्फ इस आधार पर परेशान नहीं किया जा सकता कि उन्होंने आवेदन में देरी कर दी।
➡️ “यदि किसी कर्मचारी की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके उत्तराधिकारियों को देरी के आधार पर परेशान नहीं किया जाना चाहिए।”
➡️ “हालांकि, यदि कर्मचारी जीवित होता तो देरी के नियम को सख्ती से लागू किया जा सकता था, लेकिन मृत्यु के बाद ऐसे नियम लागू करना अन्यायपूर्ण है।”
💡 फैसले का प्रभाव
✅ मृतक कर्मचारियों के परिजनों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा।
✅ सरकारी विभागों को अब देरी के आधार पर आकस्मिक लाभों को रोकने से बचना होगा।
✅ मृतक कर्मचारियों के परिवारों को राहत मिलेगी और उनकी वित्तीय समस्याओं को कम किया जा सकेगा।
📢 क्या आप मानते हैं कि सरकारी विभागों को ऐसे मामलों में और अधिक संवेदनशील होना चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें!
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