परिषदीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव: नए सत्र से एनसीईआरटी की किताबें होंगी लागू

परिषदीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव: नए सत्र से एनसीईआरटी की किताबें होंगी लागू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2025-26 से कक्षा तीन के छात्रों के लिए एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) की किताबें लागू की जाएंगी। इन पुस्तकों में स्थानीय स्तर की भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को शामिल किया गया है, जिससे छात्रों को क्षेत्रीय बोलियों और परंपराओं की जानकारी मिलेगी।


📌 क्या हैं नए बदलाव?

एनसीईआरटी की किताबों में क्षेत्रीय भाषाओं को विशेष स्थान दिया गया है।
ब्रज, अवधी, बुंदेली और भोजपुरी जैसी क्षेत्रीय बोलियों में लोकगीत, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पहलुओं को शामिल किया गया है।
प्रदेश के प्रमुख त्योहारों और उत्सवों की जानकारी दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनों जैसे छोले-समोसे, खीर आदि का भी उल्लेख किया जाएगा।
हिंदी पाठ्यक्रम में वाराणसी की ऐतिहासिकता, कलाकारों, गंगा घाट, मंदिरों और बौद्ध तीर्थ स्थलों की जानकारी जोड़ी गई है।
अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई को सरल बनाने के लिए कठिन शब्दों का हिंदी में उच्चारण और अर्थ दिया जाएगा।


🎭 बच्चों को मिलेगा अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर

नए पाठ्यक्रम में स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को महत्व दिया गया है। इससे छात्रों को अपने प्रदेश की भाषाई विविधता से परिचित होने और अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

➡️ ब्रज, अवधी, बुंदेली और भोजपुरी जैसी भाषाओं में लोकगीतों को शामिल किया गया है।
➡️ प्रदेश के प्रसिद्ध शहरों जैसे लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज आदि का विशेष परिचय दिया जाएगा।
➡️ बच्चों को एकता में अनेकता के महत्व को समझाने के लिए जयपुर, कोलकाता, अमृतसर और चंडीगढ़ जैसे शहरों की विविधता पर भी जानकारी दी जाएगी।

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📝 हिंदी पाठ्यक्रम में नया बदलाव: ‘घुमक्कड़ तारक’ की कहानी जोड़ी गई

✅ हिंदी के नए पाठ्यक्रम में ‘घुमक्कड़ तारक’ नामक कहानी को जोड़ा गया है।
✅ यह कहानी आपसी प्रेम, सौहार्द और मेलजोल की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शामिल की गई है।
✅ इससे बच्चों को मिलजुल कर रहने और सामाजिक समरसता के महत्व को समझने में मदद मिलेगी।


📚 एनसीईआरटी और एससीईआरटी का संयुक्त प्रयास

इस बदलाव के तहत राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने भी हिंदी, गणित और अंग्रेजी पाठ्यक्रम में आंशिक सुधार किए हैं।

✅ गणित और अंग्रेजी विषयों में स्थानीय संदर्भ जोड़कर उन्हें और रोचक बनाया गया है।
✅ कठिन अंग्रेजी शब्दों का हिंदी में उच्चारण और उनका अर्थ दिया गया है ताकि छात्र आसानी से समझ सकें।


🏫 शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप बदलाव

इस नए बदलाव को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप किया गया है। इसके तहत:

📌 छात्रों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देने पर जोर दिया गया है।
📌 संस्कृति, परंपरा और लोकभाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
📌 शिक्षा को ज्यादा व्यावहारिक और रोचक बनाया गया है।


💡 क्या होगा इस बदलाव का फायदा?

छात्रों को अपनी मातृभाषा और क्षेत्रीय परंपराओं की जानकारी मिलेगी।
शिक्षा को अधिक रोचक और प्रभावी बनाया जाएगा।
छात्रों में सांस्कृतिक और भाषाई जागरूकता बढ़ेगी।
पर्यावरण संरक्षण और लोकगीतों के माध्यम से नैतिक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।


📢 आपकी राय क्या है?

क्या आपको लगता है कि क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृति को शिक्षा में शामिल करना एक अच्छा कदम है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


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