आठवीं तक पढ़ने वाले आधे बच्चे 11वीं की नहीं कर रहे पढ़ाई

झारखंड में उच्च शिक्षा की चुनौती: आठवीं के बाद नामांकन दर में गिरावट

📌 ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (GER) में गिरावट, 11वीं तक पहुंचते-पहुंचते आधे से ज्यादा बच्चे छूट रहे

झारखंड में आठवीं तक पढ़ाई करने वाले आधे से ज्यादा छात्र 11वीं कक्षा तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio – GER) में लगातार गिरावट देखी जा रही है।

📊 क्लास-वाइज नामांकन स्थिति

राज्य में प्राइमरी से हाइयर सेकेंडरी स्तर तक जैसे-जैसे कक्षाएं आगे बढ़ रही हैं, नामांकन दर गिरती जा रही है।कक्षा स्तरGER (कुल प्रतिशत)छात्रों का प्रतिशतछात्राओं का प्रतिशतप्राइमरी (कक्षा 1-5) 92.19% 92.02% 93.22% अपर प्राइमरी (कक्षा 6-8) 83.26% 82.41% 84.17% सेकेंडरी (कक्षा 9-10) 62.59% 59.82% 64.67% हाइयर सेकेंडरी (कक्षा 11-12) 41.29% 39.83% 42.81%

🔹 प्रमुख चिंताएं:

  • प्राइमरी में 92.19% बच्चों का नामांकन है, लेकिन हाइयर सेकेंडरी तक पहुंचते-पहुंचते यह घटकर 41.29% ही रह जाता है।
  • छात्राओं का GER छात्रों से बेहतर है, लेकिन कुल मिलाकर नामांकन में गिरावट चिंता का विषय है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है, जहां कई जिलों में GER 50% से भी नीचे है।

🛑 किन जिलों में हालात सबसे खराब?

कुछ जिलों में नामांकन दर बेहद कम है, जिससे शिक्षा की स्थिति दयनीय नजर आती है।

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🔻 50% से कम GER वाले जिले:

  • हाई स्कूल स्तर परगोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज
  • हाइयर सेकेंडरी स्तर परपाकुड़ (19%), चतरा, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, साहिबगंज, सिमडेगा (30% से कम)

🔺 50% से अधिक GER वाले जिले:

  • रांची, बोकारो, हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, रामगढ़

📢 शिक्षा में गिरावट के कारण

1️⃣ विद्यालयों की सीमित संख्या:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में हाई स्कूल और इंटर कॉलेज की कमी के कारण छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

2️⃣ आर्थिक समस्याएं:

  • आर्थिक तंगी के कारण कई छात्र 9वीं-10वीं के बाद पढ़ाई छोड़कर काम करने लगते हैं।

3️⃣ लड़कियों की शिक्षा में रुकावट:

  • कई ग्रामीण इलाकों में सामाजिक और पारिवारिक दबाव के कारण लड़कियों की शिक्षा बीच में ही छूट जाती है।

4️⃣ सुविधाओं की कमी:

  • शिक्षकों की कमी, खराब स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट की असुविधा भी बच्चों को स्कूल छोड़ने पर मजबूर कर देती है।

📌 आगे क्या किया जा सकता है?

हाई स्कूल और इंटर कॉलेज की संख्या बढ़ाई जाए।
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और विशेष योजनाएं लागू की जाएं।
स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया जाए।
लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।
सामाजिक और पारिवारिक दबाव को कम करने के लिए काउंसलिंग की जाए।


📝 निष्कर्ष

झारखंड में शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। प्राइमरी शिक्षा में बच्चों का नामांकन तो हो रहा है, लेकिन जैसे-जैसे कक्षाएं बढ़ती हैं, छात्रों की संख्या घटती जाती है। खासकर 11वीं-12वीं में 50% से भी कम छात्र नामांकित हो पा रहे हैं।

शिक्षा को मजबूती देने के लिए सरकार, शिक्षण संस्थान और समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे। तभी झारखंड में उच्च शिक्षा की स्थिति में सुधार हो सकेगा और बच्चों को बेहतर भविष्य मिल पाएगा।

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