आरटीई के तहत दाखिले में लापरवाही: निजी स्कूलों की मनमानी जारी, शिकायतों का समाधान नहीं
📌 मुफ्त शिक्षा के अधिकार पर संकट!
प्रदेश में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (RTE) के तहत चार चरणों में आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सरकार का उद्देश्य यह है कि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए सत्र से पहले आरटीई के तहत चयनित बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित हो जाए। लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही और निजी स्कूलों की मनमानी के कारण कई बच्चों को अब तक दाखिला नहीं मिल पाया है।
🎓 स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावक
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के कई बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। जब अभिभावकों ने इसकी शिकायत एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) पर की, तो प्रवेश दिखा दिया गया, लेकिन असल में बच्चे को स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया।
👉 अभिभावकों की शिकायत: स्कूल एडमिशन देने से मना कर रहे हैं।
👉 आईजीआरएस पर दिखाया जा रहा फर्जी प्रवेश।
👉 दोबारा शिकायत करने पर भी कोई ठोस समाधान नहीं।
📢 एक अभिभावक ने बताया:
“हमने अपने बच्चे के एडमिशन के लिए आवेदन किया था। स्कूल ने एडमिशन देने से मना कर दिया। जब हमने आईजीआरएस पर शिकायत की, तो ऑनलाइन पोर्टल पर दिखाया गया कि बच्चे का प्रवेश हो गया है, लेकिन असल में स्कूल ने अभी भी उसे दाखिला नहीं दिया। हमने अधिकारियों से मिलकर फिर से शिकायत की है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।”
🏫 निजी स्कूल सीट अलॉट होने के बाद भी प्रवेश नहीं दे रहे
शिक्षा विभाग को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि आरटीई के तहत सीटें अलॉट होने के बावजूद कई निजी स्कूल बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं।
✔️ सरकारी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं स्कूल।
✔️ प्रवेश न देने के बावजूद पोर्टल पर फर्जी तरीके से दाखिले दिखाए जा रहे हैं।
✔️ शिकायतों पर जिला प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।
📢 बीएसए को बतानी होगी प्रवेश न मिलने की वजह
समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि डीएम और बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक बच्चों का दाखिला सुनिश्चित किया जा सके।
🔸 अगर किसी स्कूल ने सीट अलॉटमेंट के बावजूद प्रवेश नहीं दिया, तो बीएसए को इसकी स्पष्ट वजह बतानी होगी।
🔸 स्थानीय अधिकारियों को ऐसे स्कूलों से वार्ता कर समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं।
❌ शिक्षा के अधिकार पर सवाल!
सरकार द्वारा आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिलाने के लिए यह योजना बनाई गई थी, लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी और सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण यह अधूरी रह जाती है।
आखिर सवाल यह उठता है:
✔️ जब सरकारी पोर्टल पर प्रवेश दिखाया जा रहा है, तो असल में स्कूल एडमिशन क्यों नहीं दे रहे?
✔️ जिला प्रशासन इस पर सख्ती क्यों नहीं दिखा रहा?
✔️ क्या जरूरतमंद बच्चों को न्याय मिलेगा?
सरकार को जल्द से जल्द इस मामले पर सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि किसी भी गरीब बच्चे का भविष्य शिक्षा से वंचित न रह जाए।
📢 मेटा कीवर्ड्स:
RTE Admission Scam, Private Schools Denying Admission, Free Education Scheme, Right to Education Act 2025, IGRS Complaint, Uttar Pradesh Education News, School Admission Fraud, RTE 2025 Admission Updates