जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मंथन जारी

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मंथन जारी

हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश के आवास से नकदी बरामदगी के आरोपों पर बड़ा कदम

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय इस जांच की निगरानी कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपी जाएगी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई फैसला लेगा।

सुप्रीम कोर्ट में हुई बैठक, आंतरिक जांच को लेकर आम सहमति

सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की शुक्रवार को हुई पूर्ण बैठक में जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच पर सहमति बनी। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि सिर्फ दंडात्मक तबादला पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि न्यायपालिका की छवि बनाए रखने के लिए कठोर कार्रवाई की जरूरत है। कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगने का सुझाव भी दिया

हाईकोर्ट ने पहले ही शुरू कर दी थी जांच: सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पहले से ही इस मामले की जांच शुरू कर दी थी। यह जांच 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक से पहले ही शुरू हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय दिशा-निर्देशों के तहत आंतरिक जांच की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादले पर विरोध, बार एसोसिएशन नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, इस फैसले का हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा,

“हम कूड़ेदान नहीं हैं। भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

बार एसोसिएशन ने दावा किया कि जस्टिस वर्मा के आवास से 15 करोड़ रुपये नकद मिले थे, जबकि दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के प्रमुख अतुल गर्ग ने इस दावे का खंडन किया है। उनका कहना है कि आग बुझाने के दौरान दमकलकर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली थी

नेताओं और अधिकारियों के मामलों में तुरंत कार्रवाई, न्यायपालिका में देरी क्यों?

राज्यसभा में इस मुद्दे पर बहस भी छिड़ गई। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि न्यायपालिका में जवाबदेही बढ़ाने की जरूरत है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी इस पर चिंता जताई और कहा कि

“अगर यह मामला किसी नेता, अफसर या उद्योगपति का होता, तो तुरंत कार्रवाई होती, लेकिन यहां देरी क्यों हो रही है?”

क्या होगा आगे?

✔️ दिल्ली हाईकोर्ट की आंतरिक जांच जारी है।
✔️ जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी जाएगी।
✔️ जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन विरोध जारी है।
✔️ बार एसोसिएशन ने निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
✔️ सुप्रीम कोर्ट न्यायपालिका की छवि बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठा सकता है।

निष्कर्ष

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ फैलाई जा रही सूचनाओं और वास्तविक जांच में अंतर है। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं। हालांकि, तबादला ही पर्याप्त कार्रवाई होगी या नहीं, यह अभी तय नहीं है। न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की उम्मीद की जा रही है


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