डी०एल०एड० प्रशिक्षुओं द्वारा विद्यालय आकलन: पारदर्शिता और गुणवत्ता की दिशा में एक कदम
🔹 भूमिका
शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए “निपुण भारत मिशन” के तहत विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में डी०एल०एड० प्रशिक्षुओं के माध्यम से विद्यालयों का आकलन कर शिक्षण-सीखने की गुणवत्ता को परखा जा रहा है।
हाल ही में, राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा यह पाया गया कि कुछ जनपदों में हुए आकलनों में शत-प्रतिशत विद्यार्थी निपुण पाए गए हैं। इस रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पुनः आकलन कराने के निर्देश दिए गए हैं।

🔹 पुनः आकलन के निर्देश
👉 संलग्न विद्यालयों की सूची के अनुसार पुनः आकलन किया जाए।
👉 डी०एल०एड० प्रशिक्षुओं के माध्यम से यह कार्य 24 मार्च, 2025 तक पूर्ण कराना सुनिश्चित किया जाए।
👉 आकलन की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो, ताकि वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके।
🔹 निपुण विद्यालयों का सम्मान समारोह
📌 जो विद्यालय प्रथम दृष्टया “निपुण विद्यालय” के रूप में उभरकर आए हैं, उनके शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।
📌 इस संबंध में विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।
📌 इसके अलावा, विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
🔹 पारदर्शिता और गुणवत्ता की दिशा में एक कदम
इस पुनः आकलन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर विद्यालय की सही स्थिति सामने आए और निपुण भारत मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्रभावी रूप से प्राप्त किया जा सके।
✍️ क्या आपके विद्यालय को निपुण विद्यालय घोषित किया गया है? क्या पुनः आकलन की प्रक्रिया निष्पक्ष हो रही है? अपनी राय नीचे कमेंट में दें!
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