इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर सरकार को दिया एक माह का समय
✍ प्रयागराज, 19 मार्च 2025 – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि पर फैसला लेने के लिए एक माह का समय दिया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को अगली सुनवाई 1 मई 2025 को आदेश के अनुपालन में हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर कोर्ट का सख्त रुख
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने यह आदेश वाराणसी के विवेकानंद व अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर दिया। याचियों ने 2023 में समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय को अत्यंत न्यून मानते हुए राज्य सरकार को एक समिति का गठन कर सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने का निर्देश दिया था।
हालांकि, सरकार द्वारा अब तक इस आदेश का पालन न करने पर शिक्षामित्रों ने अवमानना याचिका दाखिल की। सोमवार को हुई सुनवाई में स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि मानदेय में वृद्धि के लिए अंतर-विभागीय विचार-विमर्श जारी है और सरकार को दो माह का समय चाहिए। इस पर न्यायालय ने सिर्फ एक माह का समय दिया और 1 मई 2025 को अगली सुनवाई तय की।
24 घंटे के भीतर शिक्षा सचिव को भेजा जाए आदेश
कोर्ट ने रजिस्ट्रार अनुपालन को आदेश दिया कि 24 घंटे के भीतर प्रमुख सचिव शिक्षा को इस निर्णय की कॉपी भेजी जाए, ताकि समय रहते उचित कार्रवाई हो सके।
30 साल बाद वेतन नहीं रोका जा सकता – हाईकोर्ट
प्रयागराज – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य अहम फैसले में कहा कि पद सृजित नहीं होने के आधार पर 30 साल बाद किसी कर्मचारी का वेतन रोका नहीं जा सकता।
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मऊ के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक कर्मचारी का वेतन रोक दिया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
- मऊ के मदरसा जामिया आलिया अरबिया अलीनगर में 27 शिक्षण व शिक्षणेत्तर पद स्वीकृत थे।
- बाद में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने पर 14 और पदों के सृजन की संस्तुति की गई।
- याची 1988 से सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पद पर कार्यरत था।
- 1995 में राजकीय कोष से उसे वेतन मिलने लगा।
- 2021 में उसे फौकानिया (माध्यमिक) स्तर पर पदोन्नति मिली, लेकिन वेतन रोक दिया गया।
हाईकोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी 30 साल से वेतन प्राप्त कर रहा है, तो पद सृजन न होने का बहाना देकर वेतन रोकना अवैध है। इस फैसले से राज्य के कई अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है।
सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी निगाहें
अब सभी की निगाहें 1 मई 2025 की सुनवाई पर टिकी हैं। शिक्षामित्रों के लिए मानदेय वृद्धि का निर्णय सरकार को जल्द लेना होगा, वरना कोर्ट आगे कड़ा रुख अपना सकता है।
✨ क्या सरकार शिक्षामित्रों को न्याय दिलाएगी? 1 मई को होगा बड़ा फैसला!
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