प्रयागराज में शिक्षित बेरोजगारी का संकट, नौकरी के लिए भटक रहे हजारों युवा
प्रयागराज, 07 मार्च: शिक्षा की नगरी प्रयागराज में अशिक्षितों की तुलना में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 12 गुना अधिक हो गई है। वर्ष 2024 में कुल 1,71,693 बेरोजगार सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत हुए, जिनमें 1,58,651 शिक्षित और 13,042 अशिक्षित बेरोजगार शामिल हैं।
शिक्षित युवाओं को भी नहीं मिल रही नौकरी
क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि 2024 में कुल 12,120 शिक्षित और 2,069 अशिक्षित बेरोजगारों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया। आंकड़ों से स्पष्ट है कि शिक्षित युवा भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं।
सबसे अधिक स्नातक योग्यताधारी बेरोजगार
1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 तक कुल 14,189 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया, जिनमें सबसे अधिक 3809 स्नातक पास युवा शामिल हैं। इसके अलावा:
- इंटर पास: 2408
- हाईस्कूल पास: 775
- परास्नातक: 989
- डिप्लोमा धारक: 1313
- कक्षा 10 से कम: 1640
- अन्य व्यवसाय में प्रशिक्षित: 438
40 साल से अधिक उम्र के भी नौकरी की तलाश में
बेरोजगारी की मार सिर्फ युवाओं तक सीमित नहीं है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के 4528 बेरोजगार अभी भी नौकरी की तलाश में पंजीकरण करवा चुके हैं। इससे साफ होता है कि रोजगार का संकट उम्र के किसी भी पड़ाव पर खत्म नहीं हो रहा।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं का कम पंजीकरण
बेरोजगारी की समस्या पुरुषों में अधिक देखी गई है। 2024 में कुल 11281 पुरुष बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया, जबकि महिला बेरोजगारों की संख्या मात्र 2908 रही।
वर्षवार बेरोजगारी के आंकड़े
वर्ष कुल बेरोजगार पंजीकरण 2021 1,93,093 2022 1,63,946 2023 1,72,787 2024 1,71,693
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक बेरोजगारी
आंकड़ों से स्पष्ट है कि बेरोजगारी का सबसे अधिक प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। शहरों में शिक्षित युवा कम वेतन वाली नौकरियों से संतोष कर रहे हैं, जबकि गांवों में रोजगार के अवसर सीमित होने के कारण बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है।
सरकार से रोजगार की उम्मीद
बेरोजगार युवाओं को सरकारी योजनाओं और निजी क्षेत्रों में अधिक नौकरियों की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि नई स्टार्टअप योजनाओं, स्वरोजगार, और डिजिटल कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से बेरोजगारी को कम किया जा सकता है।
प्रयागराज में बढ़ती बेरोजगारी सरकार और प्रशासन के लिए एक चुनौती बनी हुई है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो शिक्षित युवाओं की यह भीड़ हताशा और पलायन की ओर बढ़ सकती है।
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