घोड़ों को नहीं मिल रही घास…..फर्जी दस्तावेजों के सहारे शिक्षक बने पांच आरोपी गिरफ्तार, भेजे गए जेल

फर्जी दस्तावेजों के सहारे शिक्षक बने पांच आरोपी गिरफ्तार, भेजे गए जेल

Kanpur, 07 March: जिले में फर्जी शिक्षकों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस ने पांच शिक्षकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। ये सभी शिक्षक कूटरचित दस्तावेजों के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे थे।

फर्जी शिक्षकों का पर्दाफाश

जनपद में गठित विभागीय जांच समिति की जांच में सामने आया कि कुछ शिक्षक नकली प्रमाण पत्रों के जरिए शिक्षण कार्य कर रहे थे। इस रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी और पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया के निर्देशन में चार मार्च को बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा अभियोग पंजीकृत कराया गया।

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गिरफ्तारी की पूरी कार्रवाई

पुलिस ने जांच तेज करते हुए पांच मार्च को पांच फर्जी शिक्षकों को गिरफ्तार कर लिया। ये सभी विभिन्न जनपदों से आए थे और फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे थे

गिरफ्तार किए गए शिक्षकों की पहचान इस प्रकार है:

  1. आलोक कुमार गुप्ता उर्फ किशन गुप्ता – निवासी कानपुर देहात, जिसने डीएड के फर्जी अंकपत्र का प्रयोग किया था।
  2. प्रदीप कुमार पुत्र लालजी – निवासी कानपुर नगर, जिसने डीएड के फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी पाई थी।
  3. जितेन्द्र सिंह पुत्र राम औतार – निवासी कानपुर देहात, जिसने डीएड के फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया।
  4. उमेश कुमार मिश्र पुत्र प्रेम चंद्र – निवासी बस्ती, जिसने टीईटी का फर्जी अंकपत्र तैयार कराया था।
  5. सुशील कुमार पुत्र राम सजीवन – निवासी ग्राम परेहरापुर, कानपुर देहात, जिसने भी डीएड का कूटरचित अंकपत्र प्रयोग किया था।

बर्खास्तगी और कानूनी कार्रवाई

शिक्षा विभाग ने सभी फर्जी शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा, पुलिस ने गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर सभी आरोपियों को जेल भेज दिया

शिक्षा व्यवस्था में फर्जीवाड़ा चिंताजनक

इस तरह की घटनाएं शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं। नकली प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षक बनने वाले लोग देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रशासन की सख्त कार्रवाई से अब फर्जी शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है और अन्य मामलों की भी जांच जारी है।

सरकार और प्रशासन की ओर से फर्जीवाड़े पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। इस तरह के मामलों में कठोरतम दंड देकर ही शिक्षा व्यवस्था की पवित्रता बनाए रखी जा सकती है


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