करोड़पतियों की संख्या में भारत चौथे स्थान पर, वैश्विक धन सृजन में बढ़ता प्रभाव
अर्थव्यवस्था में मजबूती के साथ अमीरों की संख्या में तेजी से वृद्धि
नई दिल्ली। भारत धन सृजन के लिहाज से वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। करोड़पतियों यानी एक करोड़ डॉलर से अधिक संपत्ति वाले उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों (HNWI) की संख्या के मामले में भारत अब दुनिया में चौथे स्थान पर पहुंच चुका है। इस मामले में भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जापान हैं।
नाइटफ्रैंक की बुधवार को जारी ‘द वेल्थ रिपोर्ट-2025’ के अनुसार, भारत में करोड़पतियों की संख्या 2024 में छह फीसदी बढ़कर 85,698 हो गई, जबकि 2023 में यह संख्या 80,686 थी। 2028 तक यह बढ़कर 93,753 तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत में करोड़पतियों की संख्या का वैश्विक परिदृश्य
दुनियाभर में करोड़पतियों की संख्या 4.4% बढ़कर 23,41,378 हो गई है, जिससे भारत का योगदान वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हो गया है।
आर्थिक मजबूती से और बढ़ेगा भारत का प्रभाव
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल के अनुसार, भारत में अमीरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उच्च नेटवर्थ वाले लोगों की बढ़ती संख्या देश की मजबूत दीर्घकालीन आर्थिक वृद्धि, निवेश के बढ़ते अवसरों और लग्जरी बाजार के विकास को दर्शाती है।
आने वाले दशक में भारत वैश्विक संपत्ति सृजन में और अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाएगा।
भारत में अरबपतियों की संख्या में बड़ा इजाफा
2024 में भारत में अरबपतियों की संख्या बढ़कर 191 हो गई है। पिछले साल ही 26 नए अरबपति इस सूची में शामिल हुए हैं। यदि 2019 से तुलना करें, तो तब यह संख्या सिर्फ 7 थी, यानी पिछले 5 सालों में 184 नए अरबपति बने हैं।
भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति का वैश्विक रैंक
- भारतीय अरबपतियों की संयुक्त संपत्ति 950 अरब डॉलर आंकी गई है।
- यह अमेरिका (5.7 लाख करोड़ डॉलर) और चीन (1.34 लाख करोड़ डॉलर) के बाद दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट की अन्य खास बातें…
✅ भारत में दुनिया की 3.7% अमीर आबादी रहती है।
✅ 46.5% नेक्स्ट जेनरेशन भारतीय अमीर लग्जरी कार खरीदना चाहते हैं।
✅ 25.7% अमीर लग्जरी घर और 11.9% आर्ट संग्रह पर खर्च करने की इच्छा रखते हैं।
✅ 9.9% नेक्स्ट जेनरेशन अमीर प्राइवेट जेट और 4% सुपरयाट खरीदना चाहते हैं।
✅ विनिर्माण क्षेत्र ने पिछले 10 साल में टेक सेक्टर की तुलना में अधिक अरबपति बनाए हैं।
निष्कर्ष
भारत तेजी से वैश्विक धन सृजन के केंद्र के रूप में उभर रहा है। करोड़पतियों और अरबपतियों की बढ़ती संख्या देश की आर्थिक मजबूती, व्यापार के बढ़ते अवसरों और निवेश की अनुकूल नीतियों को दर्शाती है। आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा।