स्कूली बच्चों में कमजोर नजर की समस्या: हर 10 में से 1 बच्चा प्रभावित
भारत में स्कूली बच्चों के बीच दृष्टि दोष (Vision Problems) की समस्या चिंता का विषय बनी हुई है। हाल ही में एम्स दिल्ली और पीजीआई के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, हर 10 में से 1 बच्चा किसी न किसी दृष्टि दोष से जूझ रहा है। यह अध्ययन 43 ताजा शोधों की समीक्षा पर आधारित है, जिससे बच्चों की नजरों की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश की गई है।
कमजोर नजर की समस्या में मामूली सुधार
पिछले कुछ वर्षों में स्कूली बच्चों में नजर की कमजोरी की समस्या में थोड़ा सुधार हुआ है। साल 2018 में किए गए एक अध्ययन में 12% बच्चे प्रभावित पाए गए थे, जबकि इस नए अध्ययन के अनुसार यह संख्या घटकर 11% रह गई है।
स्कूली बच्चों में कौन-कौन से दृष्टि दोष ज्यादा देखे गए?
शोध में पता चला कि सबसे ज्यादा बच्चे मायोपिया (Myopia) यानी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित पाए गए। इसके अलावा एस्टिग्मैटिज्म (Astigmatism) और हाइपरोपिया (Hyperopia) की समस्या भी देखी गई।
मुख्य निष्कर्ष:
✔ 8% बच्चे मायोपिया से प्रभावित (नजदीक की चीजें साफ दिखती हैं, लेकिन दूर की धुंधली लगती हैं)।
✔ 3% बच्चे एस्टिग्मैटिज्म से जूझ रहे हैं (धुंधली या टेढ़ी-मेढ़ी दृष्टि)।
✔ 1% बच्चे हाइपरोपिया से पीड़ित (दूर की चीजें दिखती हैं, लेकिन पास की नहीं)।
✔ लड़के और लड़कियों में नजर की समस्या की दर लगभग समान पाई गई।
बच्चों में दृष्टि दोष के मुख्य कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में नजर की कमजोरी के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
1️⃣ स्क्रीन टाइम बढ़ना: मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से आंखों पर तनाव बढ़ता है।
2️⃣ अस्वस्थ आहार: पोषण की कमी, विशेष रूप से विटामिन A और अन्य जरूरी पोषक तत्वों की कमी।
3️⃣ आनुवंशिक कारण: अगर माता-पिता को चश्मा है, तो बच्चों में भी दृष्टि दोष की संभावना बढ़ जाती है।
4️⃣ अत्यधिक पढ़ाई और कम शारीरिक गतिविधि: लगातार किताबों या स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से आंखों की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
5️⃣ प्राकृतिक रोशनी की कमी: धूप में कम समय बिताने से आंखों की सेहत प्रभावित होती है।
कमजोर नजर से बचाव के उपाय
✅ स्क्रीन टाइम सीमित करें: बच्चों को मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से दूर रखने की कोशिश करें।
✅ संतुलित आहार दें: विटामिन A, C और E युक्त आहार जैसे गाजर, पालक, टमाटर और नट्स बच्चों की नजरों के लिए फायदेमंद होते हैं।
✅ हर 6 महीने में आंखों की जांच कराएं: शुरुआती पहचान से समस्या को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
✅ प्राकृतिक रोशनी में ज्यादा समय बिताने दें: दिन में कम से कम 1 घंटा बच्चों को धूप में खेलने देना चाहिए।
✅ अच्छी पढ़ाई की आदतें: पढ़ाई के दौरान पर्याप्त रोशनी का उपयोग करें और हर 30 मिनट बाद ब्रेक लेने की आदत डालें।
निष्कर्ष
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में स्कूली बच्चों में कमजोर नजर की समस्या में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन यह अभी भी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। माता-पिता और स्कूलों को चाहिए कि वे बच्चों की आंखों की नियमित जांच कराएं, स्क्रीन टाइम कम करें और सही आहार व जीवनशैली पर ध्यान दें। इससे बच्चों की दृष्टि क्षमता को बेहतर बनाया जा सकता है और भविष्य में उन्हें नजर की गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकता है।