नए आयकर बिल-2025: टैक्स चोरी करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई, संपत्तियों की जब्ती और डिजिटल जांच की मिलेगी शक्ति
अगर आपने अपनी कमाई, संपत्ति या अन्य मूल्यवान वस्तुओं को छुपाकर टैक्स चोरी की है, तो अब सतर्क हो जाइए। आयकर विभाग 1 अप्रैल 2026 से आपके घर की तलाशी लेने और संपत्ति जब्त करने का कानूनी अधिकार प्राप्त कर लेगा। यह प्रावधान नए आयकर बिल-2025 के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य टैक्स चोरी रोकना और पारदर्शिता लाना है।
क्या है नए आयकर बिल-2025 का प्रावधान?
इस नए कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्तियों, खातों या अन्य वित्तीय साधनों की सही जानकारी नहीं देता है, तो आयकर विभाग उसकी जांच कर सकता है। इतना ही नहीं, विभाग को कर चोरी की स्थिति में संपत्तियां जब्त करने का भी अधिकार मिलेगा।
1. आयकर विभाग अब संपत्तियों को जब्त कर सकेगा
मौजूदा आईटी अधिनियम-1961 की धारा-132 के तहत पहले भी अधिकारियों को तलाशी और जब्ती के अधिकार थे, लेकिन नए बिल में इसे और सख्त कर दिया गया है। अब विभाग किसी भी संदेहास्पद स्थिति में करदाता की अज्ञात संपत्तियों को जब्त कर सकता है।
2. लॉकर और तिजोरी भी तोड़ सकेंगे अधिकारी
अगर किसी व्यक्ति के पास गुप्त संपत्ति या काला धन है और उसे लॉकर, तिजोरी या किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर रखा गया है, तो अब आयकर अधिकारी उसे तोड़कर जांच कर सकेंगे।
बिल के क्लॉज-247 के तहत:
✔ लॉकर, तिजोरी या बक्सा अगर लॉक है और चाबी नहीं दी जाती, तो अधिकारी उसे तोड़ सकते हैं।
✔ अगर किसी डिजिटल लॉकर का एक्सेस कोड उपलब्ध नहीं है, तो अधिकारी उसे भी खोलने के लिए अपने तरीके अपना सकते हैं।
✔ आयकर अधिकारी अब कंप्यूटर, मोबाइल, वर्चुअल डिजिटल स्पेस (VDS) आदि की जांच भी कर सकते हैं।
3. डिजिटल डाटा तक मिलेगी अधिकारियों को पहुंच
अब तक आयकर विभाग केवल भौतिक संपत्तियों की जांच करता था, लेकिन नए बिल के तहत डिजिटल डेटा तक पहुंचने का अधिकार भी मिल जाएगा।
इन अधिकारियों को मिलेगा डेटा एक्सेस का अधिकार:
- संयुक्त निदेशक या अतिरिक्त निदेशक
- संयुक्त आयुक्त या अतिरिक्त आयुक्त
- सहायक निदेशक या उप निदेशक
- सहायक आयुक्त या उपायुक्त
- आयकर अधिकारी या कर वसूली अधिकारी
यह प्रावधान सरकार को डिजिटल ट्रांजेक्शन्स और छुपी हुई संपत्तियों की निगरानी करने की शक्ति देगा।
4. वर्चुअल डिजिटल स्पेस (VDS) पर उठ रहे सवाल
नए आयकर बिल-2025 के तहत वर्चुअल डिजिटल स्पेस (VDS) की परिभाषा पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। यह कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर रहा है:
✔ क्या सरकार के पास व्यक्तिगत डिजिटल डेटा को देखने की छूट होगी?
✔ क्या यह प्रावधान लोगों की निजता का उल्लंघन करेगा?
✔ क्या यह डिजिटल क्षेत्र में विश्वास को कम करेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि सख्त नियमों के बिना यह नया कानून वित्तीय जांच और व्यक्तिगत गोपनीयता के बीच टकराव पैदा कर सकता है। इससे संविधानिक और कानूनी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
क्या होगा इसका प्रभाव?
- टैक्स चोरी करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी और वे अब आसानी से बच नहीं पाएंगे।
- सरकार की डिजिटल संपत्तियों और वित्तीय लेन-देन पर बेहतर निगरानी होगी।
- अगर नियमों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया, तो यह व्यक्तिगत निजता के लिए खतरा बन सकता है।
निष्कर्ष
नया आयकर बिल-2025 भारत में कर चोरी रोकने और पारदर्शिता लाने का एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसके दुरुपयोग की आशंका को दूर करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और सुरक्षा उपाय जरूरी होंगे। सरकार को चाहिए कि यह सुनिश्चित करे कि ईमानदार करदाता अनावश्यक परेशानी में न पड़ें, और यह कानून केवल टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ एक हथियार बने।