यूपी में 750 डाटा सेंटर घोटाला: 13,500 करोड़ का फर्जीवाड़ा, ईडी ने आरोपी को एयरपोर्ट पर दबोचा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 750 डाटा सेंटर स्थापित करने के नाम पर 13,500 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विसेज लिमिटेड और व्यूनाउ इंफ्राटेक नामक कंपनियां फर्जी निकलीं। इन कंपनियों के प्रबंध निदेशक और घोटाले के मास्टरमाइंड सुखविंदर सिंह खरोर ने फर्जीवाड़ा कर एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर कराए और निवेशकों से 3,558 करोड़ रुपये बटोर लिए।
हालांकि, विदेश भागने की कोशिश कर रहे सुखविंदर सिंह और उसकी पत्नी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया।
कैसे हुआ 13,500 करोड़ का घोटाला?
- 20 नवंबर 2022 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की मौजूदगी में व्यूनाउ के एमडी सुखविंदर सिंह खरोर ने 13,500 करोड़ रुपये का एमओयू किया।
- इस एमओयू के तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में 750 डाटा सेंटर स्थापित करने का दावा किया गया।
- अधिकारियों को यकीन दिलाया गया कि इससे यूपी में दुनिया का सबसे बड़ा एज सेंटर नेटवर्क बनेगा, जो 5G, ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डाटा टेक्नोलॉजी को मजबूती देगा।
फर्जी योजना बनाकर निवेशकों को फंसाया
- सुखविंदर सिंह ने क्लाउड पार्टिकल टेक्नोलॉजी के नाम पर निवेशकों को गुमराह किया।
- “सेल एंड लीज-बैक” मॉडल का झांसा देकर निवेशकों से भारी भरकम राशि ऐंठ ली।
- निवेशकों को बताया गया कि वे डाटा सेंटर की स्टोरेज क्षमता के छोटे-छोटे हिस्से लीज पर खरीद सकते हैं और बाद में इससे भारी मुनाफा कमा सकते हैं।
- इस योजना से 3558 करोड़ रुपये निवेश के रूप में इकट्ठा किए गए, लेकिन डाटा सेंटर स्थापित करने के बजाय यह रकम विदेश भेज दी गई।
ईडी की जांच में क्या सामने आया?
- नोएडा पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद ईडी ने जांच शुरू की।
- ईडी को पता चला कि व्यूनाउ ग्रुप के संस्थापक सुखविंदर सिंह खरोर ने फर्जी कागजातों के आधार पर कंपनी की हैसियत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई।
- फर्जी तरीके से अलग-अलग जिलों में डाटा सेंटर स्थापित करने की अफवाह फैलाई गई।
- निवेशकों से 3558 करोड़ रुपये की ठगी की गई और रकम विदेशों में ट्रांसफर कर दी गई।
- इससे पहले कि वह देश छोड़कर भाग पाता, ईडी ने उसे एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया।
सरकार की चूक और भविष्य की रणनीति
- सरकार ने वैश्विक निवेशकों के साथ एमओयू करने से पहले कंपनियों का विस्तृत बैकग्राउंड चेक करने के निर्देश दिए थे।
- इसके बावजूद, व्यूनाउ ग्रुप की पूरी जांच-पड़ताल नहीं की गई और अधिकारियों ने बिना सत्यापन के 13,500 करोड़ का एमओयू कर लिया।
- अब सरकार भविष्य में निवेश संबंधी एमओयू को रोकने या रद्द करने की नीति पर काम कर रही है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में हुए इस डाटा सेंटर घोटाले ने सरकारी तंत्र की बड़ी लापरवाही को उजागर कर दिया है। फर्जी कंपनियों के जरिए निवेशकों को ठगने का यह एक संगठित प्रयास था, जिसे ईडी ने समय रहते पकड़ लिया। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि इतनी बड़ी धोखाधड़ी सरकारी अधिकारियों की नाक के नीचे कैसे हुई?