इलाहाबाद हाईकोर्ट: समान आरोप में अलग-अलग फैसलों पर विशेष जज से मांगी सफाई
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समान आरोप में एक आरोपी को जमानत मिलने और दूसरे की अर्जी खारिज होने पर सवाल उठाते हुए अपर सत्र न्यायाधीश, विशेष जज पॉक्सो, पडरौना, कुशीनगर से स्पष्टीकरण मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की पीठ ने मुकेश की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया। मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी।
क्या है मामला?
- पडरौना निवासी मुकेश और एक अन्य व्यक्ति पर 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के बयान के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
- पीड़िता ने आरोप लगाया कि दोनों ने उस पर केमिकल फेंका, जिससे वह घायल हो गई।
- इस मामले में एक आरोपी को जमानत मिल गई, जबकि मुकेश की जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
- इस पर हाईकोर्ट ने स्पेशल जज से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
निजी कंपनियों पर याचिका नहीं पोषणीय: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा कि संविधान के तहत राज्य की श्रेणी में आने वाली संस्थाओं के खिलाफ ही याचिका दाखिल की जा सकती है। निजी कंपनियां राज्य की श्रेणी में नहीं आतीं, इसलिए उनके खिलाफ सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर नहीं की जा सकती।
क्या था मामला?
- नयारा एनर्जी लिमिटेड कंपनी के खिलाफ मेसर्स मनोज पेट्रोलियम व अन्य ने याचिका दाखिल की थी।
- हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति वी.सी. दीक्षित की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को अस्वीकार्य मानते हुए खारिज कर दिया।
यह फैसला स्पष्ट करता है कि निजी कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए अन्य न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन करना होगा और उन्हें राज्य मानकर संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जा सकती।