पूर्व एमएलसी वासुदेव यादव गिरफ्तार: आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई
वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने जारी किया था गैर-जमानती वारंट
विजिलेंस की टीम ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व एमएलसी और शिक्षा बोर्ड के पूर्व निदेशक वासुदेव यादव को प्रयागराज के जार्ज टाउन स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया। वासुदेव यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया था। पिछले तीन वर्षों से वे कोर्ट में पेश नहीं हो रहे थे, जिसके चलते विजिलेंस ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी थी।
सीएम के आदेश पर 2017 में शुरू हुई थी जांच
सितंबर 2017 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर वासुदेव यादव की संपत्तियों की जांच शुरू हुई। उन पर शिक्षा निदेशक रहते हुए अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे थे। विजिलेंस ने उनकी आय, खर्च, संपत्ति और निवेश का गहराई से विश्लेषण किया और पाया कि:
- वासुदेव यादव की कुल आय लगभग 89.42 लाख रुपये थी।
- जबकि विजिलेंस जांच में उनकी संपत्ति आय से 293% अधिक पाई गई।
2021 में दर्ज हुई थी एफआईआर, फिर भी नहीं हुए थे कोर्ट में पेश
शासन की मंजूरी के बाद जनवरी 2021 में विजिलेंस विभाग ने प्रयागराज थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। एफआईआर दर्ज होने के बावजूद वासुदेव यादव कोर्ट में हाजिर नहीं हुए, जिससे उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करना पड़ा।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
मंगलवार को विजिलेंस इंस्पेक्टर नन्हे राम सरोज और जय श्याम शुक्ला के नेतृत्व में जार्ज टाउन थाना क्षेत्र के अमरनाथ झा मार्ग स्थित उनके आवास पर छापेमारी की गई। इस दौरान स्थानीय पुलिस भी उनके साथ थी। आखिरकार, विजिलेंस टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
सपा सरकार में बच गए थे सभी मामले
सूत्रों के अनुसार, जब समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता में आई, तो वासुदेव यादव को संजीवनी मिल गई। 5 मार्च 2012 को विधानसभा चुनाव में सपा की जीत के बाद, महज 10 दिनों में उनके खिलाफ चल रहे ज्यादातर बड़े मामले खत्म कर दिए गए।
- सचिव और निदेशक रहते हुए उन पर कई घोटालों के आरोप लगे थे।
- सपा की सरकार आने से पहले उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के दर्जनों मामले लंबित थे।
- चुनाव परिणाम के बाद, 5 से 15 मार्च तक देर रात सचिवालय खोलकर उनके खिलाफ मामलों को निपटा दिया गया।
- लोकायुक्त जांच भी बंद कर दी गई।
- अचानक डीपीसी (विभागीय पदोन्नति) कराकर उन्हें बेसिक और माध्यमिक शिक्षा का निदेशक बना दिया गया।
अब आगे क्या?
वासुदेव यादव की गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस विभाग उनकी अवैध संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन की गहराई से जांच करेगा। इस मामले से यह साफ हो जाता है कि सरकारी पदों पर रहते हुए भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग कैसे किया जाता है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में इस मामले में और कौन-कौन से खुलासे होते हैं।