मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने पर तुरंत मिलेगी जानकारी
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) मतदाता सूची में होने वाले बदलावों को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए मोबाइल और ईमेल से जोड़ने की योजना बना रहा है। इससे नाम कटने या जुड़ने पर मतदाताओं को तुरंत सूचना मिलेगी।
मतदाता सूची को मोबाइल और ईमेल से जोड़ने की योजना
✔ नाम जुड़ने या हटने की सूचना तुरंत मोबाइल पर भेजी जाएगी।
✔ जिस कारण से नाम हटाया गया, वह भी जानकारी में शामिल होगा।
✔ मतदाता यदि असंतुष्ट है, तो तुरंत उच्च स्तर पर चुनौती दे सकेगा।
✔ नोटिस भेजने की मौजूदा प्रक्रिया की जगह डिजिटल सूचना भेजी जाएगी।
निर्वाचन आयोग का कहना है कि अभी नोटिस भेजने की व्यवस्था है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह मतदाता तक नहीं पहुंचता।
राजनीतिक दलों के आरोप और आयोग की प्रतिक्रिया
केस-1: आम आदमी पार्टी
अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। उनकी दी गई 3000 पन्नों की सूची में से सिर्फ कुछ ही मामले सही पाए गए।
केस-2: कांग्रेस
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए 5 साल में 32 लाख वोट जोड़े गए, लेकिन 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए 39 लाख वोट जोड़े गए। आयोग ने इस पर स्पष्टीकरण मांगा है।
केस-3: समाजवादी पार्टी
अखिलेश यादव ने कहा कि यादव और मुस्लिम मतदाताओं के 20-20 हजार वोट हर विधानसभा क्षेत्र से काटे गए। उन्होंने 18,000 नामों की सूची सौंपी, जिनमें से ज्यादातर गलत पाए गए।
4-5 मार्च को नई दिल्ली में अहम बैठक
चुनाव आयोग 4-5 मार्च को सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के साथ बैठक करेगा, जिसमें मोबाइल और ईमेल लिंकिंग का रोडमैप तैयार किया जाएगा।
✅ 99 करोड़ मतदाताओं में से 65 करोड़ के मोबाइल नंबर व ईमेल पहले से दर्ज हैं।
✅ 34 करोड़ मतदाताओं के मोबाइल नंबर और ईमेल जुटाने पर फोकस होगा।
✅ आधार लिंकिंग से कई मतदाताओं की जानकारी पहले से अपडेट है।
इससे क्या बदलाव आएंगे?
1️⃣ मतदाता सूची में पारदर्शिता बढ़ेगी।
2️⃣ गलत तरीके से नाम काटने की घटनाओं पर रोक लगेगी।
3️⃣ राजनीतिक दलों के आरोपों की सच्चाई का जल्दी पता चलेगा।
4️⃣ मतदाता को अपने अधिकारों की जानकारी तुरंत मिलेगी।
क्या यह योजना सफल होगी?
➡ यदि सभी मतदाताओं के मोबाइल नंबर और ईमेल अपडेट हो जाते हैं, तो यह योजना काफी सफल हो सकती है।
➡ राजनीतिक आरोपों और गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
➡ अगर सही तरीके से लागू किया गया, तो 2024 और आगे के चुनावों में इससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
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