अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाई परमाणु बैटरी, दशकों तक बिना चार्जिंग देगी ऊर्जा

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाई परमाणु बैटरी, दशकों तक बिना चार्जिंग देगी ऊर्जा

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने परमाणु कचरे से ऊर्जा पैदा करने वाली बैटरी बनाने में बड़ी सफलता हासिल की है। अमेरिका के ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह बैटरी दशकों तक बिना चार्जिंग और रखरखाव के ऊर्जा प्रदान कर सकती है


कैसे काम करेगी यह परमाणु बैटरी?

शोधकर्ताओं के अनुसार, परमाणु ईंधन से निकलने वाली गामा विकिरण को यह बैटरी रोशनी में बदलती है। फिर, सोलर सेल इस रोशनी को बिजली में बदल देते हैं। इस तकनीक के कारण बिना किसी बाहरी स्रोत से चार्ज किए, यह बैटरी लंबे समय तक ऊर्जा देती रहेगी

प्रयोग के तौर पर बनी बैटरी:

✔ आकार में एक अंगुली से भी छोटी है।
✔ इससे 1.5 माइक्रोवाट ऊर्जा उत्पन्न हुई
✔ भविष्य में बड़ी बैटरी बनाकर इसकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी

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कहां होगी इस बैटरी का उपयोग?

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बैटरी बड़े मिशनों में ऊर्जा संकट को खत्म करने में सहायक होगी। इसे विशेष रूप से अंतरिक्ष अनुसंधान और समुद्र की गहराइयों में अध्ययन के लिए विकसित किया जा रहा है

अंतरिक्ष मिशन: लंबे समय तक ऊर्जा की जरूरत वाले उपग्रहों और उपकरणों में इसका उपयोग किया जा सकता है।
समुद्र विज्ञान: समुद्र की गहराइयों में शोध कार्यों के लिए जहां पारंपरिक बैटरियां जल्दी खत्म हो जाती हैं।
सैन्य और दूरस्थ स्थानों पर उपयोग: जहां बार-बार बैटरी बदलना संभव नहीं होता।


परमाणु बैटरी की विशेषताएं:

बिना चार्जिंग और रखरखाव के दशकों तक ऊर्जा प्रदान करेगी
छोटे आकार में भी प्रभावी रूप से ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम
बड़ी बैटरी बनाने पर बिजली उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ाई जा सकती है
परमाणु कचरे के सुरक्षित उपयोग में सहायक


वैज्ञानिकों का क्या कहना है?

इस शोध के प्रमुख लेखक और मैकेनिकल एयरोस्पेस इंजीनियर रेमंड काओ के अनुसार, यह तकनीक परमाणु कचरे का उपयोग करके सुरक्षित और दीर्घकालिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करने में सक्षम है

यह शोध प्रतिष्ठित ‘ऑप्टिकल मैटेरियल्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।


क्या यह बैटरी भविष्य में ऊर्जा संकट को हल कर सकती है?

इस बैटरी की तकनीक अगर सफल होती है और बड़े पैमाने पर विकसित की जाती है, तो यह ऊर्जा संकट को काफी हद तक हल कर सकती है। इससे न केवल अंतरिक्ष और समुद्र विज्ञान को फायदा होगा, बल्कि यह नवीकरणीय और स्थायी ऊर्जा स्रोत के रूप में भी उपयोगी हो सकती है

भविष्य में इस तकनीक के व्यावहारिक उपयोग पर और शोध किए जा रहे हैं।
यदि यह बड़े पैमाने पर उत्पादन में आती है, तो यह ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।


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